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मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती आज, बन रहा है खास योग! पूजा की तो मनोकामना होगी पूर्ण - Geeta Jayanti

आज मोक्षदा एकादशी है. नाम से ही भान होता है कि मोक्ष प्राप्ति हेतु इस दिन व्रत, तप करना श्रेयस्कर होता है. सभी विकारों से मुक्ति का सार है मोक्षदा एकादशी (Mokshda Ekadashi 2022). आज गीता जयंती भी है. आइए यहां जानते हैं मोक्षदा एकादशी व्रत की पूजन विधि और गीता जयंती का महत्व!

Mokshda Ekadashi 2022
आज है मोक्षदा एकादशी

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Published : Dec 3, 2022, 7:08 AM IST

बीकानेर.पौराणिक ग्रंथों के अनुसार श्रीविष्णु के शरीर से माता एकादशी उत्पन्न हुई थी. इसलिए साल में कुल 24 बार पड़ने वाली एकादशी तिथि का महत्व होता है. एक मास में दो बार एकादशी पड़ती है एक कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में (Mokshda Ekadashi 2022). वहीं मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी के रूप में मनाया जाता है. जो आज यानी शनिवार को है.

कहते हैं मोक्षदा एकादशी को विधि अनुसार पूजा पाठ करने से सर्वोत्तम फल की प्राप्ति होती है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना का विधान है. कई जातक व्रत भी रखते हैं. मान्यता है कि मोक्षदा एकादशी पर व्रत रखने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. ध्यानी ज्ञानियों का मन्तव्य है कि इस दिन गीता पाठ करने से भी कई जन्मों के पापों से मुक्ति मिल जाती है और शुभ फल की प्राप्ति होती है.

विष्णु भगवान के किस स्वरूप की पूजा?- इस दिन शंख, चक्र गदाधारी भगवान विष्णु के चतुर्भुज स्वरूप की पूजा करने से पूर्वजों को मोक्ष तक पहुंचने में मदद मिलती है. मान्यता है कि जितना पुण्य हजारों वर्षों की तपस्या करने से मिलता है, उतना ही फल सच्चे मन से इस व्रत को करने से मिलता है. इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम और नारायण कवच का पाठ करना बहुत ही उत्तम माना गया है.

ऐसे करें पूजा-भगवान विष्णु के चतुर्भुज स्वरूप की तस्वीर या मूर्ति के सामने घी का दीपक और धूप जलाएं, फिर व्रत का संकल्प लें. भगवान विष्णु का पंचामृत से अभिषेक कर उन्हें फूलों की माला पहनाएं. इसके बाद विधि-विधान से पूजा में रोली, चंदन, धूप, सिंदूर, तुलसी के पत्ते और मिठाई और फलों का भोग लगाएं. एकादशी की कथा सुनने के बाद विष्णु सहस्रनाम का पाठ कर आरती करें. पूरे दिन फलहार व्रत रखें और रात के समय जागरण करें. अगले दिन पूजा करने के बाद व्रत का पारण करें और दान-पुण्य करें.

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श्रीकृष्ण ने दिया गीता का ज्ञान-मान्यता है कि इस तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत में अर्जुन को कुरुक्षेत्र में गीता का ज्ञान दिया था इसलिए इस दिन पर गीता जयंती भी मनाई जाती है (Geeta Jayanti). इसके साथ ही इस तिथि पर रवि नामक योग बन रहा है जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है. इस योग में पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

मां लक्ष्मी की भी पूजा-पीपल के पेड़ में भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी का भी वास होता है इसलिए एकादशी के दिन पीपल के पेड़ पर जल जरूर अर्पित करें.ऐसा करने से भगवान विष्णु जल्द प्रसन्न होते हैं धन लाभ के लिए मोक्षदा एकादशी पर पान का एक साफ पत्ता लेकर उसमें केसर से 'श्रीं' लिखें और इस पान के पत्तों को श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु के चरणों में चढ़ा दें. अगले दिन इसे लॉकर में रख लें.ऐसा करने से आपको पैसों की तंगी का सामना नहीं करना पड़ेगा.

मोक्षदा एकादशी का शुभ मुर्हूत-इस साल मोक्षदा एकादशी तीन दिसंबर 2022 शनिवार को पड़ रही है.शनिवार सुबह 05 बजकर 39 मिनट से शुरू होकर अगले दिन रविवार सुबह 05 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगी. व्रत 03 दिसंबर को रखा जाएगा और इसका पारण 04 दिसंबर यानी रविवार को होगा. भक्त व्रत का पारण सुबह 07:05 बजे से सुबह 09:09 बजे तक कर सकते हैं.

पूजा करें और लगाए तुलसी का पौधा-मोक्षदा एकादशी के दिन शाम को तुलसी के पौधे के सामने घी का दीपक जरूर जलाएं. इसके साथ ही ॐ वासुदेवाय नमः मंत्र का जाप करते हुए तुलसी के पौधे के आसपास 11 परिक्रमा करें. एकादशी के दिन तुलसी के पौधे पर जल न चढ़ाएं क्योंकि इस दिन तुलसी माता निर्जला व्रत रखती हैं.

मोक्षदा एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करते समय पीले रंग के गेंदे के फूल चढ़ाएं. अगर गेंदे के फूल नहीं हों तो कोई भी पीले रंग के फूल चढ़ा सकते हैं. इस दिन घर में तुलसी का पौधा लगाना भी शुभ माना जाता है.घर में तुलसी का पौधा लगाने के लिए मोक्षदा एकादशी सर्वोत्तम दिन है.

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