बीकानेर. वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह को युवा ग्रह माना गया है. मिथुन और कन्या इसकी स्वराशि है. बुध ग्रह कन्या राशि में उच्च का तथा मीन राशि में नीच का होता है. चंद्रमा के पश्चात बुध ग्रह किसी राशि में सबसे तीव्र गति से गोचर करता है. बुध ग्रह व्यक्ति की चपलता, वाकपटुता कुशाग्र बुद्धि, संवाद क्षमता, बुद्धिमता, संचार गुण इत्यादि का कारक होता है. जन्म कुंडली में बुध शुभ राशि या मित्र राशि में उपस्थित हो पर और साथ में शुभ ग्रहों की दृष्टि होने पर व्यक्ति धन प्रबंधन, चातुर्य, मानसिक और तार्किक क्षमता, गणित विषय में निपुणता, व्यापार और वाणिज्य में सफल होता है.
इसके विपरीत जातक की जन्म कुंडली अशुभ राशि या शत्रु राशि या अशुभ ग्रहों से दृष्ट होने पर व्यक्ति में वाणी दोष, संचार क्षमता और धन प्रबंधन में कमी, गणित विषय में कमजोर, दरिद्र जीवन व्यतीत करता है. दुर्बल बुध को प्रबलता देने हेतु तर्जनी अंगुली में सोने की अंगूठी में पन्ना धारण करना लाभदायक रहता है.
मेष : कार्य अथवा व्यापार हेतु यात्रा, छोटे भाई बहनों का सहयोग, लेखन अथवा संप्रेषण कार्य में रुचि बढ़ेगी.
वृषभ: पारिवारिक उद्यम में बढ़ोतरी, स्थाई परिसंपत्ति निर्माण के योग, वाणी से आय के योग बनेंगे.
मिथुन: आत्म केंद्रित सोच, मानसिक पीड़ा, शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार, आर्थिक अनुकूलता देखने को मिलेगी.
कर्क:नवीन कार्य या व्यापार में निवेश, आमोद प्रमोद हेतु यात्रा, खर्चे में बढ़ोतरी, अस्पताल संबंधी खर्च के योग बन रहे हैं.