बीकानेर.हिंदू धर्म शास्त्रों और पुराणों के अनुसार गुरुवार को देवताओं के गुरु बृहस्पति का वार कहा जाता है. उनकी आराधना से शुभ फल की प्राप्ति होती है. साथ ही जातकों के विवाह में आ रही बाधाएं भी दूर होती है. गुरुवार को भगवान श्रीहरि विष्णु की आराधना करनी चाहिए. भगवान विष्णु सृष्टि के पालनहार हैं. समस्त लोक में निवास करने वाले सभी प्राणियों का पालन वो ही करते हैं. गुरुवार को अपनी सभी परेशानियों से मुक्ति पाने के लिए भगवान श्रीहरि के साथ ही देवी लक्ष्मी की आराधना करने से जातक को शुभ फल की प्राप्ति होती है.
गुरुवार के दिन व्रत का महत्व : भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की कृपा पाने के लिए लगातार 16 गुरुवार का व्रत रखने की बात सुद्धिजन कहते आए हैं. उनके अनुसार 17वें गुरुवार को व्रत का उद्यापन करना चाहिए. एक खास बात और सनातन मतानुसार मासिक धर्म में महिलाओं के लिए व्रत वर्जित है. इसके अलावा गुरुवार का व्रत इकाई की संख्या 1,3,5,7 और 9 साल या फिर आजीवन भी रख सकते हैं.
इन मंत्रों का करें जाप : भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:' मंत्र का जाप करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती है. सुबह जल्दी उठकर दैनिक दिनचर्या से निवृत होकर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए. गायों को बेसन और आटा मिलाकर पिंड बनाकर गायों को देना चाहिए. इसके अलावा बृहस्पति देव के मंत्र 'ओम ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:' का जाप की माला फेरने चाहिए. गुरु ग्रह को प्रबल करने के लिए ओम बृं बृहस्पते नमः मंत्र का जाप कम से कम एक माला का जाप करना चाहिए. मंत्र जाप में तुलसी की माला का उपयोग करें. गुरु दोष को दूर करने के लिए नहाने के पानी में चुटकी भर हल्दी डालकर स्नान करें.
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न करें ये काम : दक्षिण, पूर्व, नैऋत्य में यात्रा नहीं करना, गुरुवार को भोजन में ऊपर से नमक डालकर नहीं खाना चाहिए. दूध और केले का सेवन नहीं करना और खिचड़ी बनाना और खाने से भी परेहज करना चाहिए. इसके अलावा इस दिन कपड़े धोने की मनाही है. ज्योतिषाचार्यों का मत है कि गुरुवार को साबुन से कपड़े धोने से कपड़ों की मैल संग पानी में घर की सुख-समृद्धि भी धुल जाती है.