बीकानेर.हिन्दू धर्मशास्त्रों में कार्तिक मास और कार्तिक पूर्णिमा का विशेष (Kartik Purnima 2022) महत्व है. वैसे तो अलग-अलग धर्मशास्त्रों में कार्तिक पूर्णिमा का अलग-अलग महत्व बताया गया है, लेकिन पंडित मनीष भारद्वाज बताते हैं कि विष्णु पुराण में कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार लेने का उल्लेख मिलता है. वहीं, शैव मत के अनुसार भगवान शिव ने आज ही के दिन दिव्य रथ पर सवार होकर तीन राक्षस भाइयों का वध किया था. इसलिए उनका नाम त्रिपुरारी पड़ा.
महाभारत युद्ध में कौरवों के संहार के बाद पांडवों को इस बात का दुख हुआ कि उन्होंने इस युद्ध में अपनों की ही हत्या की है. ऐसे में पांडवों की दुख की पीड़ा को कम करने व वीरगति को प्राप्त कारवों की आत्मा की शांति के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने कार्तिक मास की अष्टमी से पूर्णिमा तिथइ तक हवन तर्पण करवाया था. ताकि दिवंगत आत्माओं को मोक्ष की प्राप्ति हो सके. साथ ही कहा जाता है कि आज ही के दिन मां तुलसी बैकुंठ के लिए प्रस्थान की थी.
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शैव मत में कार्तिक पूर्णिमा का महत्व:कार्तिक पूर्णिमा यानी आज ही के दिन भगवान शिव ने एक दिव्य रथ पर सवार होकर अजेय असुर त्रिपुरासुर का वध किया था. इस असुर के मारे जाने से तीनों लोकों में धर्म को फिर से स्थापित किया जा सका था, लिहाजा इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं.
विष्णु ने लिया मत्स्य अवतार:प्रचलित कथा के अनुसार शंखासुर नामक राक्षस का वध करने के लिए भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था. दरअसल, शंखासुर खुद को बचाने के लिए समुद्र में प्रवेश कर गया था. ऐसे में भगवान विष्णु ने समुद्र में मत्स्य अवतार धारण कर उसका वध किया था.
गंगा स्नान का महत्व:पंडित भारद्वाज ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन तीर्थ स्थलों पर जाकर स्नान करने से श्रद्धालुओं को मोक्ष की प्राप्ति होती है. मोक्षदायिनी कही जाने वाली मां गंगा में स्नान करने से भक्तों को पुण्य फल की प्राप्ति होती है. उन्होंने बताया कि पुष्कर व श्री कोलायत कपिल सरोवर में स्नान करने का भी अपना विशेष महत्व है.