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मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से घर में आती खुशियां, जानिए इसका महत्व - Rajasthan Hindi News

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार माता एकादशी भगवान श्रीहरि के शरीर से उत्पन्न हुईं थीं. पञ्चांग के मुताबिक साल में कुल 24 बार आने वाली एकादशी तिथि का महत्व होता है. एक मास में दो बार एकादशी पड़ती है एक कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में. मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी के रूप में मनाया जाता है. हालांकि, इस बार क्षेत्र अनुसार इसमें तिथि विभेद मत के चलते यह दो दिन होगी. कुछ लोग इसे आज तो वहीं कुछ लोग शनिवार को एकादशी व्रत करेंगे.

मोक्षदा एकादशी
मोक्षदा एकादशी

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 22, 2023, 8:23 AM IST

Updated : Dec 22, 2023, 8:31 AM IST

बीकानेर. साल में आने वाली 24 एकादशी में से एक मोक्षदा एकादशी होती है. मार्गशीष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्ष प्राप्ति के लिए जाना जाता है. इस दिन किया गया व्रत, पूजा पाठ बहुत महत्व है और नाम से भी मालूम चलता है मोक्षदा एकादशी मोक्ष दिलाने वाली है. इस दिन गीता जयंती भी होती है.

तुलसी पौधा लगाएं और करें पूजा :मान्यता के अनुसारभगवान विष्णु को तुलसी पूजा में चढ़ाई जाती है और बिना तुलसी चढ़ाई भगवान विष्णु की पूजा पूरी नहीं मानी जाती है, इसलिए मोक्षदा एकादशी के दिन शाम को तुलसी के पौधे के सामने घी का दीपक जरूर जलाएं. पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि इसके साथ ही ॐ वासुदेवाय नमः मंत्र का जाप करते हुए तुलसी के पौधे के आसपास 11 परिक्रमा करें. एकादशी के दिन तुलसी के पौधे पर जल न चढ़ाएं, क्योंकि इस दिन तुलसी माता निर्जला व्रत रखती हैं. मोक्षदा एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करते समय पीले रंग के गेंदे के फूल चढ़ाएं. अगर गेंदे के फूल नहीं हों तो कोई भी पीले रंग के फूल चढ़ा सकते हैं. इस दिन घर में तुलसी का पौधा लगाना भी शुभ माना जाता है. घर में तुलसी का पौधा लगाने के लिए मोक्षदा एकादशी सर्वोत्तम दिन है.

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चतुर्भुज स्वरूप की पूजा :मोक्षदा एकादशी के दिन विष्णु के चतुर्भुज स्वरूप की पूजा करने से पूर्वजों को भी मोक्ष मिलता है. मान्यता है कि जितना पुण्य हजारों वर्षों की तपस्या करने से मिलता है, उतना ही फल सच्चे मन से इस व्रत को करने से मिलता है. इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम और नारायण कवच का पाठ करना बहुत ही उत्तम माना गया है. भगवान विष्णु के चतुर्भुज स्वरूप की तस्वीर या मूर्ति के सामने घी का दीपक और धूप जलाएं. व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु का पंचामृत से अभिषेक कर उन्हें फूलों की माला पहनाएं. इसके बाद विधि-विधान से पूजा में रोली, चंदन, धूप, सिंदूर, तुलसी के पत्ते और मिठाई और फलों का भोग लगाएं. एकादशी की कथा सुनने के बाद विष्णु सहस्रनाम का पाठ कर आरती करें. पूरे दिन फलहार व्रत रखें और रात के समय जागरण करें. अगले दिन पूजा करने के बाद व्रत का पारण करें और दान-पुण्य करें.

कृष्ण ने दिया गीता का ज्ञान :मान्यता है कि इस तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत में अर्जुन को कुरुक्षेत्र में गीता का ज्ञान दिया था, इसलिए इस दिन पर गीता जयंती भी मनाई जाती है. इस दिन गीता का पाठ करने से पूर्व जो को भी मुक्ति मिलती है और मान्यता है कि हजारों वर्षों की तपस्या का फल केवल आज के दिन गीता का पाठ करने से मिल जाता है.

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मां लक्ष्मी की भी पूजा :घर को माता लक्ष्मी का वार माना जाता है और गीत मोक्षदा एकादशी का व्रत शुक्रवार को करने वाले लोगों के लिए यह एक विशेष संयोग भी भी है. पीपल के पेड़ में भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी का भी वास होता है इसलिए एकादशी के दिन पीपल के पेड़ पर जल जरूर अर्पित करें. ऐसा करने से भगवान विष्णु जल्द प्रसन्न होते हैं धन लाभ के लिए मोक्षदा एकादशी पर पान का एक साफ पत्ता लेकर उसमें केसर से 'श्रीं' लिखें और इस पान के पत्तों को श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु के चरणों में चढ़ा दें. अगले दिन इसे लॉकर में रख लें, ऐसा करने से आपको पैसों की तंगी का सामना नहीं करना पड़ेगा.

मोक्षदा एकादशी का शुभ मुहूर्त :पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने ब ताया कि इस साल मोक्षदा एकादशी पर तिथि विभेद और मतांतर होने से कुछ लोग 22 दिसंबर और कुछ लोग 23 दिसंबर को एकादशी का व्रत रखेंगे. एकादशी तिथि 22 दिसंबर को सुबह 8:16 बजे से प्रारंभ होगी और 23 दिसंबर 2023 दिन शनिवार की सुबह 7:12 बजे समाप्त होगी. सामान्यतः लोग 22 दिसंबर को मोक्षदा एकादशी व्रत रखेंगे. वहीं, वैष्णव संप्रदाय के लोग 23 दिसंबर को मोक्षदा एकादशी व्रत रखेंगे. 22 दिसंबर को एकादशी व्रत रखने वाले लोगों के लिए पारण समय 23 दिसंबर की दोपहर 01:22 से 03:26 तक का है. वहीं, 23 दिसंबर को एकादशी व्रत रखने वाले जातकों के लिए पारण का समय 24 दिसंबर सुबह 7:11 बजे से 9:15 तक रहेगा.

Last Updated : Dec 22, 2023, 8:31 AM IST

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