बीकानेर. साल में आने वाली 24 एकादशी में से एक मोक्षदा एकादशी होती है. मार्गशीष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्ष प्राप्ति के लिए जाना जाता है. इस दिन किया गया व्रत, पूजा पाठ बहुत महत्व है और नाम से भी मालूम चलता है मोक्षदा एकादशी मोक्ष दिलाने वाली है. इस दिन गीता जयंती भी होती है.
तुलसी पौधा लगाएं और करें पूजा :मान्यता के अनुसारभगवान विष्णु को तुलसी पूजा में चढ़ाई जाती है और बिना तुलसी चढ़ाई भगवान विष्णु की पूजा पूरी नहीं मानी जाती है, इसलिए मोक्षदा एकादशी के दिन शाम को तुलसी के पौधे के सामने घी का दीपक जरूर जलाएं. पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि इसके साथ ही ॐ वासुदेवाय नमः मंत्र का जाप करते हुए तुलसी के पौधे के आसपास 11 परिक्रमा करें. एकादशी के दिन तुलसी के पौधे पर जल न चढ़ाएं, क्योंकि इस दिन तुलसी माता निर्जला व्रत रखती हैं. मोक्षदा एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करते समय पीले रंग के गेंदे के फूल चढ़ाएं. अगर गेंदे के फूल नहीं हों तो कोई भी पीले रंग के फूल चढ़ा सकते हैं. इस दिन घर में तुलसी का पौधा लगाना भी शुभ माना जाता है. घर में तुलसी का पौधा लगाने के लिए मोक्षदा एकादशी सर्वोत्तम दिन है.
चतुर्भुज स्वरूप की पूजा :मोक्षदा एकादशी के दिन विष्णु के चतुर्भुज स्वरूप की पूजा करने से पूर्वजों को भी मोक्ष मिलता है. मान्यता है कि जितना पुण्य हजारों वर्षों की तपस्या करने से मिलता है, उतना ही फल सच्चे मन से इस व्रत को करने से मिलता है. इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम और नारायण कवच का पाठ करना बहुत ही उत्तम माना गया है. भगवान विष्णु के चतुर्भुज स्वरूप की तस्वीर या मूर्ति के सामने घी का दीपक और धूप जलाएं. व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु का पंचामृत से अभिषेक कर उन्हें फूलों की माला पहनाएं. इसके बाद विधि-विधान से पूजा में रोली, चंदन, धूप, सिंदूर, तुलसी के पत्ते और मिठाई और फलों का भोग लगाएं. एकादशी की कथा सुनने के बाद विष्णु सहस्रनाम का पाठ कर आरती करें. पूरे दिन फलहार व्रत रखें और रात के समय जागरण करें. अगले दिन पूजा करने के बाद व्रत का पारण करें और दान-पुण्य करें.