बीकानेर. हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन मासिक कालाष्टमी व्रत और पूजन किया जाता है. मान्यता है कि इस दिन का व्रत भगवान शिव के रुद्रवतार काल भैरव को समर्पित होता है. वैशाख माह में कालाष्टमी व्रत गुरूवार आज है. इस दिन भगवान शिव के रुद्रावतार काल भैरव की पूजा-अर्चना करने का विधान है. काल भैरव भगवान शिव के पांचवें अवतार माने जाते हैं. कहा जाता है कि भगवान शिव के क्रोध स्वरूप में काल भैरव की उत्पत्ति हुई थी. कालभैरव को भगवान शिव ने काशी में रहने के लिए कहा था और इसलिए इन्हें काशी का कोतवाल भी कहा जाता है. काल भैरव के 52 स्वरूप की पूजा होती है.
ऐसे हुआ था अवतार : ज्योतिषाचार्य पंडित कपिल जोशी ने बताया कि भगवान शिव ने माता सती के पिता प्रजापति राजा दक्ष को दंडित करने के लिए ये अवतार लिया और उग्र रूप में होने के चलते इनका रौद्र अवतार हुआ.
नहीं लगता भय : ज्योतिषाचार्य पंडित कपिल जोशी कहते है कि काल भैरव की पूजा आराधना से व्यक्ति को रोग, दोष, भय आदि नहीं लगता है. जिस व्यक्ति को अकाल मृत्यु या भयंकर रोग का भय लगता हो उनको काल भैरव की पूजा करनी चाहिए इससे उनको भैरव कृपा प्राप्त होने पर भय से छुटकारा मिलता है.