बीकानेर.बृहस्पति ग्रह आज यानी 4 सितंबर 2023 को शाम 4:58 पर अग्नि तत्व की मेष राशि में वक्री होंगे और फिर 31 दिसंबर 2023 को मेष राशि में ही मार्गी होंगे. बृहस्पति के वक्री होने के कारण राहु के साथ बने गुरु चांडाल योग की तीव्रता में कमी आएगी. इससे समाज में नैतिकता एवं ज्ञान कौशल में वृद्धि होगी तथा गुरुजनों व शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी. बीकानेर के पॉलीटेक्निक कॉलेज के व्याख्याता और ज्योतिर्विद डॉ आलोक व्यास के अनुसार बृहस्पति ग्रह के वक्री होने से विभिन्न राशियों पर अलग अलग प्रभाव परिलक्षित होंगे.
वैदिक ज्योतिष परंपरा में बृहस्पति को देवगुरु माना गया है एवं जन्म कुंडली में बृहस्पति की अनुकूल स्थिति जातक को सुख, वैभव, धन, संपदा, मंगलमय जीवन, सुखद विवाह, संतान सुख, विधा, मान-सम्मान प्रदान करते है. इसके विपरीत नीच राशि, शत्रु राशि, अशुभ ग्रहों से युक्त अथवा दृष्ट बृहस्पति जीवन में कष्टों में बढ़ोतरी करते है. जातक के जीवन में धन का अभाव, सुख संपदा में कमी, गृह क्लेश, संतान सुख व सम्पनता में कमी हो जाती है. बृहस्पति ग्रह को प्रबलता देने हेतु तर्जनी अंगुली में पुखराज को सोने की अंगूठी में धारण करना या गुरुवार का व्रत लाभप्रद रहता है.
मेष : आत्म अवलोकन, आत्मछवि में सुधार हेतु प्रयास, आध्यात्मिक उन्नति होगी.
वृषभ: सुदूर प्रांत की यात्रा योग, व्यय में बढ़ोतरी, अस्पताल संबंधी खर्च, मानसिक कष्ट के योग हैं.
मिथुन: संपर्क सूत्रों में बढ़ोतरी हेतु प्रयास, आय के नए साधन, आर्थिक अनुकूलता, बड़े भाई बहनों का सहयोग मिलेगा.
कर्क: कार्यक्षेत्र में अधिक ऊर्जा, नौकरीअथवा पदोन्नति हेतु प्रयास, सामाजिक प्रतिष्ठा में बढ़ोतरी होगी.
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