बीकानेर.प्रत्येक मास में एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी व्रत का पालन किया जाता है. माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी, भूमि एकादशी और भीष्म एकादशी कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की उपासना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. ये एकादशी पुण्यदायी है. ऐसे में आज के दिन व्रत रखने से भक्त को नीच योनि से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के बाद भूत-प्रेत नहीं बनना पड़ता है.
जानें व्रत का महत्व:इस एकादशी में भगवान विष्णु की पूजा करने का विशेष विधि-विधान है. ऐसी मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत रखने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं. धर्म शास्त्रों में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है. भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को जया एकादशी के महत्व के बारे में बताया था. यह व्रत ‘ब्रह्म हत्या’ जैसे पाप से भी मुक्ति दिला सकता है. धार्मिक मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से भक्त को नीच योनि जैसे भूत, प्रेत, पिशाच की योनि से मुक्ती मिल जाती है. ऐसा कहा जाता है कि जया एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य मिलता है.
भूलकर भी न करें ये काम: माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की उदयातिथि को देखते हुए जया एकादशी आज पड़ा है. आज के दिन स्नान-दान का विशेष महत्व होता है. जया एकादशी के दिन कुछ काम वर्जित होते हैं और भूलकर भी ये काम नहीं करने चाहिए. जया एकादशी के दिन तामसिक भोजन करने से परहेज करें. व्रत रखने वाले व्यक्ति के अलावा परिवार के अन्य सदस्यों को भी मान्यता अनुसार अंडा, मांस, मछली और लहसुन-प्याज खाने से परहेज करना चाहिए. एकादशी पर अगर कोई गरीब भिक्षुक कुछ मांगने आए तो उसे खाली हाथ न लौटाएं. अपनी क्षमता के अनुसार उसे कुछ न कुछ जरूर दें. पदमपुराण में इस एकादशी के लिए कहा गया है कि जिसने 'जया एकादशी ' का व्रत किया है उसने सब प्रकार के दान दे दिए और सम्पूर्ण यज्ञों का अनुष्ठान कर लिया. इस व्रत को करने से व्रती को अग्निष्टोम यज्ञ का फल मिलता है.