बीकानेर.पौराणिक कथाओं के अनुसार गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश अपनी मां माता पार्वती के साथ कैलाश पर्वत से धरती पर आए थे. जबकि माघ मास की चतुर्थी को भगवान श्री गणेश का जन्म हुआ था. इसलिए इस दिन को गणेश जयंती के रूप में मनाया जाता है. पुराणों में इस बात का भी जिक्र है कि भगवान कार्तिकेय के कैलाश पर्वत छोड़ने के बाद जहां देवी पार्वती और भगवान शिव निवास करते थे, गणेश अपने भाई से मिलने के लिए कैलाश पर्वत छोड़ देते थे और 10 दिनों (विसर्जन) के बाद वापस आते थे. वहीं, कई क्षेत्रों में इसे तिल कुंड चतुर्थी और माघ विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है.
बुधवार के साथ ये भी संयोग: बुधवार का दिन प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश को समर्पित है और यह भी एक संयोग है कि इस साल गणेश जयंती बुधवार को ही पड़ा है. ऐसे में भगवान गणेश की पूजा का फल और महत्व भी बढ़ जाता है. इसके साथ आज रवि, शिव जैसे योग बन रहे हैं. वहीं, आज भद्रा सुबह 01 बजकर 53 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 34 तक है. साथ ही पंचक 27 जनवरी को रहेगा. भद्रा में मांगलिक कार्य करने की मनाही है, लेकिन पंचक और भद्रा में पूजा पाठ किया जा सकता है.
पूजा का शुभ मुहूर्त व विधि: गणेश जयंती के दिन सुबह पानी में तिल डालकर स्नान करें और लाल वस्त्र पहनकर गणपति के समक्ष व्रत का संकल्प लें. उत्तर पूर्व दिशा में लकड़ी की चौकी रखें और उस पर लाल कपड़ा बिछाएं. चौकी पर कलश स्थापित करें. एक पात्र में धातु से बनी गणपति प्रतिमा का गंगाजल में तिल मिलाकर स्नान कराएं और फिर अस्य प्राण प्रतिषठन्तु अस्य प्राणा: क्षरंतु च. श्री गणपते त्वम सुप्रतिष्ठ वरदे भवेताम... इस मंत्र को बोलते हुए गणपति को चौकी पर स्थापित करें.