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Ganesh Jayanti 2023: भगवान गणेश की आराधना का विशेष दिन आज, जानें कब और कैसे करनी है पूजा

आज गणेश जयंती है. हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश जयंती के (Magh Vinayak Chaturthi 2023) रूप में मनाया जाता है. धर्म शास्त्रों में इसी दिन को गणेश जी के जन्म के रूप में माना जाता है.

Magh Vinayak Chaturthi 2023
Magh Vinayak Chaturthi 2023

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Published : Jan 25, 2023, 6:42 AM IST

बीकानेर.पौराणिक कथाओं के अनुसार गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश अपनी मां माता पार्वती के साथ कैलाश पर्वत से धरती पर आए थे. जबकि माघ मास की चतुर्थी को भगवान श्री गणेश का जन्म हुआ था. इसलिए इस दिन को गणेश जयंती के रूप में मनाया जाता है. पुराणों में इस बात का भी जिक्र है कि भगवान कार्तिकेय के कैलाश पर्वत छोड़ने के बाद जहां देवी पार्वती और भगवान शिव निवास करते थे, गणेश अपने भाई से मिलने के लिए कैलाश पर्वत छोड़ देते थे और 10 दिनों (विसर्जन) के बाद वापस आते थे. वहीं, कई क्षेत्रों में इसे तिल कुंड चतुर्थी और माघ विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है.

बुधवार के साथ ये भी संयोग: बुधवार का दिन प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश को समर्पित है और यह भी एक संयोग है कि इस साल गणेश जयंती बुधवार को ही पड़ा है. ऐसे में भगवान गणेश की पूजा का फल और महत्व भी बढ़ जाता है. इसके साथ आज रवि, शिव जैसे योग बन रहे हैं. वहीं, आज भद्रा सुबह 01 बजकर 53 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 34 तक है. साथ ही पंचक 27 जनवरी को रहेगा. भद्रा में मांगलिक कार्य करने की मनाही है, लेकिन पंचक और भद्रा में पूजा पाठ किया जा सकता है.

पूजा का शुभ मुहूर्त व विधि: गणेश जयंती के दिन सुबह पानी में तिल डालकर स्नान करें और लाल वस्त्र पहनकर गणपति के समक्ष व्रत का संकल्प लें. उत्तर पूर्व दिशा में लकड़ी की चौकी रखें और उस पर लाल कपड़ा बिछाएं. चौकी पर कलश स्थापित करें. एक पात्र में धातु से बनी गणपति प्रतिमा का गंगाजल में तिल मिलाकर स्नान कराएं और फिर अस्य प्राण प्रतिषठन्तु अस्य प्राणा: क्षरंतु च. श्री गणपते त्वम सुप्रतिष्ठ वरदे भवेताम... इस मंत्र को बोलते हुए गणपति को चौकी पर स्थापित करें.

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इसके साथ ही गौरी पुत्र गणेश को रोली, मौली, हल्दी, सिंदूर, अक्षत, चंदन, अबीर, गुलाल, अष्टगंध, मेहंदी, लाल पुष्प, लौंग, इलायची, इत्र, पान का पत्ता, वस्त्र, नारियल अर्पित करें. साथ ही जनेऊ में थोड़ा हल्दी लगाकर गणपति जी को पहनाएं और 'श्री गणेशाय नमः दुर्वाकुरान समर्पयामि. ' मंत्र का जाप करते हुए जोड़े से 11 या 21 दूर्वा चढ़ाएं. गणेश जयंती को तिल कुंड चतुर्थी भी कहा जाता है. इस दिन गणपति को खासकर तिल से बनी बर्फी या लड्‌डू का भोग लगाना चाहिए.

गणपति को उनके प्रिय पांच फल (केला, सीताफल, जामुन, अमरूद, बेल) अर्पित करें. गणपति की पूजा में तुलसी वर्जित है. सुगंधित धूप और तीन बत्तियों वाला दीपक लगाकर गणपति चालीसा का पाठ करें और गणेश जयंती की कथा पढ़ें. परिवार सहित गणपति की विधि पूर्वक आरती करें और फिर प्रसाद सभी में बांट दें. इस दिन गाय को तिल भोजन खिलाना चाहिए और तिल का दान करना भी श्रेष्ठ होता है.

करें ये उपाय: संतान प्राप्ति के लिए भगवान श्री गणेश के बाल स्वरूप की पूजा करें. साथ ही संतान गणपति स्त्रोत का पाठ करें. गणेश जयंती पर गरीबों को भोजन कराएं या किसी मंदिर के अन्‍न क्षेत्र में अनाज आदि दान करें. इससे अपार धन लाभ होता है. शास्त्रों में वर्णित है कि जो भी व्यक्ति नियमित रूप से विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश की पूजा-अर्चना करते हैं, उनके जीवन के सभी कष्ट समाप्त होते जाते हैं.वहीं, विनायक चतुर्थी पर सिद्धि विनायक रूप की पूजा करने से भी संतान संबंधी हर समस्या का समाधान होता है.

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