बीकानेर.साल 2023 के विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और भाजपा पूरी (Interview With BD kalla) तरह से तैयारी के जुट गए हैं. हालांकि कांग्रेस की तुलना में भाजपा ने अपनी तैयारी तेज कर दी है. विपक्ष के रूप में भाजपा प्रदेश सरकार की वादा खिलाफी और कानून व्यवस्था सहित अन्य मुद्दों को लेकर जनता के बीच जा रही है. वहीं प्रदेश सरकार जनहित में किए कामों को अपनी उपलब्धियों के रूप में गिनाते हुए प्रचार कर रही है. इन सबके बीच विधायक और मंत्रियों के कामकाज को लेकर भी अब चर्चाएं शुरू हो गई हैं. इसी मुद्दे को लेकर प्रदेश सरकार के शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला के ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.
सवाल - संविदा कर्मियों को लेकर सरकार ने बड़ा फैसला किया है. आप इस कमेटी के चेयरमैन रहे. इसे कैसे देखते हैं?
कल्ला - संविदाकर्मियों को लेकर पिछली सरकार में भी कमेटी थी, लेकिन कोई काम नहीं (Regularization of contract workers in Rajasthan) हुआ. हमारी सरकार आई तब हमने इन संविदाकर्मियों को लेकर कवायद शुरू की. पूर्व मुख्य सचिव डीबी गुप्ता के समय स्वास्थ्य विभाग में 10,000 पैरामेडिकल स्टाफ को नियमित किया गया है. इसके अलावा 2 दिन पहले मुख्यमंत्री ने जो घोषणा की है उससे 1,10,000 संविदाकर्मियों को लाभ होगा और इनको चिकित्सकीय सुविधाएं और पेंशन भी मिलेंगी. इससे इनका भविष्य भी सुरक्षित होगा.
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सवाल - सरकार में आपकी हैसियत मुख्यमंत्री के बाद मानी जाती है. बावजूद इसके आपके समानांतर मंत्री शांति धारीवाल के गृह क्षेत्र कोटा में विकास के बड़े काम हुए हैं. बीकानेर संभागीय मुख्यालय होने के बावजूद भी कई मायनों में पिछड़ा हुआ है.
कल्ला- कोटा और बीकानेर दोनों में नगर विकास न्यास की आर्थिक स्थिति का फर्क है. सारे काम कोटा में नगर विकास न्यास के मार्फत में हैं. हमारे यहां नगर विकास न्यास में पिछली सरकार के समय 1.5 सौ करोड़ का कर्जा रहा है. इसके बावजूद भी मैंने बीकानेर में सरकार के स्तर पर विकास कार्य करवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. डेयरी साइंस कॉलेज, आयुर्वेदिक कॉलेज और अंडर ब्रिज का काम शुरू हुए हैं और सड़कों को लेकर भी कई काम हुए हैं.
सवाल - सरकार आपकी है और सरकार के अधीन ही नगर विकास न्यास आता है. अगर आप चाहते तो काम हो सकता था.
कल्ला-बीकानेर की यूआईटी घाटे में है और कोटा की यूआईटी के पास 500 से 700 करोड़ (Rajasthan Vidhan Sabha Elections 2023) का बजट है. बीकानेर यूआईटी के पास आमदनी का स्रोत नहीं है. इस बात का फर्क समझना पड़ेगा. इसके बावजूद बीकानेर में मैंने पेयजल की 619 करोड़ की और बिजली की गई योजनाओं को लाने का काम किया है.