बीकानेर. कार्तिक मास की अमावस्या को दीपावली पर्व मनाया जाता है. पांच दिवसीय रोशनी के महापर्व दीपावली पर लक्ष्मी-गणेश के पूजन का विधान है. इस दिन भगवान कुबेर की भी पूजा की जाती है. इसके अलावा भगवान श्रीराम की लंका विजय के बाद अयोध्या वापस लौटने की खुशी में मनाया जाने वाला त्योहार है. इस साल दीपावली का त्योहार 12 नवंबर को मनाया जाएगा.
कब करें पूजा :जीवन में ऐश्वर्य और वैभव की प्राप्ति के लिए दीपावली के दिन माता महालक्ष्मी की पूजा की जाती है. पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि वैसे तो मुहूर्त अनुसार पूजा की जा सकती है, लेकिन स्थिर लग्न में पूजा करने से मां महालक्ष्मी प्रसन्न होतीं हैं और इसका विशेष फल मिलता है.
पढ़ें. आज चंद्रमा तुला राशि में है, जानें दिवाली पर आपके राशिफल पर क्या होगा असर
राम के अयोध्या से लौटने के अलावा भी महात्म्य :किराडू कहते हैं कि देवी लक्ष्मी के घर में आगमन की खुशी में घी और तेल के दीपक जलाए जाते हैं और रोशनी की जाती है. वे कहते हैं कि ये भी एक संयोग है कि इसी दिन भगवान राम की 14 साल की वनवास अवधि पूरी हुई और वे अयोध्या लौटे थे. इस खुशी में भी अयोध्यावासियों ने दीपक जलाए थे, लेकिन दीपावली के दिन दीपक जलाने की परंपरा उससे भी पुरानी है और यह मां महालक्ष्मी के अवतरण दिवस से जुड़ी हुई है.