बीकानेर. आज चैत्र नवरात्र प्रतिपदा यानि नवरात्र का पहला दिन है. शास्त्रों के मुताबिक जगतपिता ब्रह्मा ने भगवती मां दुर्गा के नौ रूप को अलग-अलग नाम दिए और देवी के इन नौ रूपों की नवरात्र में पूजा होती है. हर देवी की पूजा का दिन निर्धारित है. नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है. नौ दिन के देवी आराधना में प्रतिपदा को घटस्थापना के साथ नौ दिनों की पूजा का क्रम शुरू होता है. देवी की आराधना और पूजा करने के साथ ही नौ दिन तक व्रत भी किया जाता है. चैत्र नवरात्र 30 मार्च तक रहेंगे.
पहले दिन शैलपुत्री का पूजन : पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि मां पार्वती ही देवी शैलपुत्री हैं. इनका भगवान शंकर से विवाह हुआ. मां पार्वती के स्वरूप शैलपुत्री का पूजन नवरात्र के पहले दिन होता है. देवी सिंह पर ही आरूढ़ होती हैं. भगवान ब्रह्मा जी ने देवी के अलग-अलग नौ रूपों का नामकरण किया तो मां शैलपुत्री वृषभ की सवारी के साथ प्रकट हुईं. इस दौरान उनके हाथों में त्रिशूल था. किराडू कहते हैं कि मां शैलपुत्री हिमालय की पुत्री है. अपने पिता के नाम से ही इनका नाम हुआ. हिमालय का दूसरा नाम शैल है. हिमालय ने मां भगवती की कठोर तपस्या करते हुए आराधना की और पुत्री रूपी में देवी को पाने की इच्छा जताई. देवी ने हिमालय की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें मनचाहा वरदान देते हुए उनकी पुत्री रूप में अवतार लिया.