बीकानेर.लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और बीजेपी दोनों दलों ने जनसंपर्क अभियान तेज कर दिया है. प्रचार के अंतिम चरण में है. 30 अप्रैल को केंद्रीय मंत्री गडकरी बीकानेर पहुंचेंगे. जिसको लेकर बीजेपी की जिला इकाई ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. वहीं कांग्रेस कार्यकर्ता भी बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं से मिलकर वोट की अपील कर रहे हैं.
बीकानेर में भाजपा का जनसंपर्क तेज बता दें कि 6 मई को बीकानेर लोकसभा के लिए मतदान होगा. ऐसे में बीजेपी प्रत्याशी अर्जुनराम मेघवाल और कांग्रेस प्रत्याशी मदन गोपाल मेघवाल ने जनसंपर्क तेज कर दिया है. भाजपा अब प्रचार के अंतिम दिनों में कांग्रेस से आगे निकलती नजर आ रही है. आगामी सप्ताह में यहां भाजपा के दो स्टार प्रचारकों के पहुंचने का कार्यक्रम है. रेंद्र मोदी 3 मई को बीकानेर में अर्जुन मेघवाल के समर्थन में जनसभा को संबोधित करेंगे. वहीं इससे पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी 30 को खाजूवाला और नोखा में जनसभा को संबोधित करेंगे. इसी बीच नागौर में गठबंधन के प्रत्याशी और रालोपा संयोजक हनुमान बेनीवाल भी अर्जुन मेघवाल के समर्थन में बीकानेर में जनसभा को संबोधित करने आएंगे.
वहीं प्रचार के अंतिम 10 दिनों में अब कांग्रेस की ओर से किसी नेता के बीकानेर आने का कोई कार्यक्रम सामने नहीं आया है. वहीं भाजपा की अर्जुन मेघवाल को पटखनी देने के लिए शुरुआत में सुबे के मुखिया अशोक गहलोत लगातार बीकानेर में सक्रिय नजर आए. हलांकि इसके बाद कांग्रेस में विरोध के स्वर पूरी तरह से खत्म हो गए, लेकिन अंदर खाने में क्या है यह कहना अभी मुश्किल है. अलबत्ता नामांकन के बाद मदन गोपाल प्रचार में बिना बड़े नेताओं के नजर आ रहे हैं.
दरअसल, जिले के वरिष्ठ नेता प्रदेश के ऊर्जा मंत्री डॉक्टर बी डी कल्ला जोधपुर के प्रभारी बनाए गए हैं. वे लगातार जोधपुर में प्रचार में व्यस्त हैं. वहीं जिले के दूसरे मंत्री भंवर सिंह भाटी अपने प्रभार वाले जिले सिरोही और जालौर में व्यस्त नजर आ रहे हैं. पूर्व प्रतिपक्ष नेता रामेश्वर डूडी भी अन्य सीटों पर प्रचार में व्यस्त हैं. पिछले एक सप्ताह के दौरान तीनों ही बड़े नेता बीकानेर में चुनावी समर से बाहर नजर आए.
माना जा रहा है कि अपने मौसेरे भाई के सामने चुनावी मैदान में उतरे कांग्रस प्रत्याशी मदनगोपाल मेघवाल टिकट पाने में सफल हो गए हैं. लेकिन वे अर्जुनराम मेघवाल को कितनी चुनौती दे पाएंगे यह कहना मुश्किल है. हालांकि खुद अर्जुन मेघवाल को लेकर भी विरोध के स्वर हैं. इसके बावजूद मदन गोपाल मेघवाल के मुकाबले अर्जुन मेघवाल का चेहरा दो बार सांसद रहने के चलते लोगों में है. जबकि मदन गोपाल मेघवाल को पार्टी के अधिकांश कार्यकर्ताओं और मतदाताओं से पहली बार मिलना पड़ रहा है. खुद के चेहरे के नाम पर ही वोट मांगते हुए नजर आ रहे हैं.