बीकानेर.ऐसे तो प्रदोष का व्रत साल में 24 बार आता है, लेकिन हिंदू पञ्चांग व मास के अनुसार ये व्रत दो बार ही आता है. प्रत्येक मास के शुक्ल व कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन प्रदोष का व्रत रखा जाता है और इस दिन मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है. पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी आज है, जो रात 10 बजकर 28 मिनट तक रहेगी. त्रयोदशी के व्रत में शाम को सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व व 45 मिनट पश्चात कुल डेढ़ घंटे की अवधि को प्रदोष काल कहते हैं और इसी अवधि में प्रदोष की पूजा का महात्म्य है.
बुध प्रदोष व्रत महात्म्य - आज के दिन भगवान शिव और उनके परिवार की पूजा की जाती है. वहीं, बुधवार को त्रयोदशी पड़ने की वजह से इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जा रहा है. बुध प्रदोष का शास्त्रों में विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन शिव परिवार की पूजा करने के साथ बुध ग्रह से जुड़े उपाय करना शुभ फल देने वाला माना जाता है. मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन पूरी निष्ठा से भगवान शिव की आराधना करने से जातक के सारे कष्ट दूर होते हैं और मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. पुराणों के अनुसार प्रदोष व्रत को करने से बेहतर स्वास्थ्य और लंबी आयु की प्राप्ति होती है.