बीकानेर. किसी भी शहर को साफ और स्वच्छ केवल ऊपरी तौर पर ही नहीं बल्कि अंदरूनी तौर पर भी रखा जाना जरूरी है. जी हां केवल सड़क की नियमित सफाई नहीं और ना ही डंपिंग यार्ड तक कचरा कलेक्शन सेंटर से कचरा पहुंचाने से शहर साफ होता है.
आजदी के सात दशक बाद भी सीवरेज ट्रीटमेंट में पिछड़ा बीकानेर बल्कि शहर में गंदे जल की निकासी भी पूरी तरह से होनी जरूरी है ताकि सड़क पर गंदगी नहीं है और ना ही वातावरण प्रदूषित हो और इसी को लेकर अंडर ग्राउंड सीवरेज की व्यवस्था शुरू हुई और वापस गंदे पानी को फिर से उपयोग के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना की आवश्यकता हुई.
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बात करें बीकानेर शहर की तो प्रदेश के नगर निगमों में बीकानेर शुमार है जयपुर जोधपुर कोटा और अजमेर भरतपुर के साथ ही बीकानेर भी नगर निगम क्षेत्र है. संभाग मुख्यालय भी है बावजूद उसके बीकानेर शहर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के क्षेत्र में पूरी तरह से पिछड़ा हुआ है. कहने को तो बीकानेर में तीन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट है लेकिन हाल ही में बना गंगाशहर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट अभी तक शुरू नहीं हुआ. वहीं, कुछ समय पहले शुरू हुआ शोभासर रोड स्थित ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता भी ज्यादा नहीं है ऐसे में आने वाले दिनों में इस सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना का उद्देश्य भी पूरा होता नजर नहीं आ रहा.
सीवरेज ट्रीटमेंट की देखरेख की जरुरत है बीकानेर शहर के सबसे पहले बने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट वल्लभ गार्डन क्षेत्र की. पूर्व में बने शहर के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को काफी समय हो गया और अब इसी जगह पर नया ट्रीटमेंट प्लांट बनाया गया है. हालांकि यह सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट अभी तक अंडर ट्रायल कहा जा सकता है. बीकानेर में बने तीनों ट्रीटमेंट प्लांट की कुल क्षमता करीब 62 एमएलडी की है. हाल ही में अमृत योजना के तहत वल्लभ गार्डन स्थित ट्रीटमेंट प्लांट का दोबारा निर्माण हुआ है और इसको बनाने वाली कंपनी अगले 10 साल तक इसका ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस का काम करेगी. फिलहाल कंपनी ट्रीटमेंट प्लांट को ट्रायल पर चला रही है. बताया जा रहा है कि जल्द ही इसे रेगुलर किया जाएगा.
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अब तक बीकानेर में करीब 70 से 80 फीसदी क्षेत्र सीवरेज से जोड़ने का दावा किया जा रहा है, लेकिन इसमें भी करीब 20 से 25 फीसदी ऐसा क्षेत्र है जहां सीवरेज लाइन डाले कई साल हो गए अब वह पुरानी हो गई है. ऐसे में उसे दोबारा डालने की जरूरत है. नगर निगम के आयुक्त ए एच गौरी का कहना है कि बीकानेर शहर में करीब 80 फीसदी सीवरेज लाइन डाली जा चुकी है, हालांकि खुद गौरी भी स्वीकार कर रहे हैं कि शहर में पुरानी हो चुकी सीवरेज लाइन को बदलने की जरूरत है और इसके लिए प्रस्ताव उच्च स्तर पर भेजे जा चुके हैं. शहर के 80 फीसदी क्षेत्र को सीवरेज से कवर करने का दावा करने की बात कहने वाले आयुक्त गौरी खुद कहते हैं कि बीकानेर में दो ही ट्रीटमेंट प्लांट अभी काम कर रहे हैं जिसमें से एक का ट्रायल चल रहा है तो वहीं तीसरा शुरू होने में अभी कुछ वक्त और लगेगा.
सीवरेज के गंदे पानी से होने वाली सब्जियों को लेकर भी प्रशासन सुस्त वहीं, शहर के सबसे बड़े ट्रीटमेंट प्लांट प्लांट पर काम करने वाले कर्मचारी भीयांराम कहते हैं कि ट्रीटमेंट प्लांट का काम हो गया है और अभी ट्रायल पर चल रहा है, लेकिन इस ट्रीटमेंट प्लांट के बनने के बावजूद भी साफ हुए पानी को लेकर कोई योजना नजर नहीं आ रही है क्योंकि आसपास की जमीन इवेंट प्लांट के क्षेत्र में नहीं है ऐसे में साफ हुआ पानी को जमा करने और उसके उपयोग लेने को लेकर कोई योजना नजर नहीं आ रही है. नगर निगम के पार्षद शिवशंकर बिस्सा कहते हैं कि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के चालू होने की बात तो बहुत दूर की है सीवरेज लाइन का काम भी अभी तक पूरा नहीं हुआ है और इसको लेकर भी हर रोज आम जनता उन्हें शिकायत करती है लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है. वहीं, पार्षद प्रफुल्ल हटीला कहते हैं कि वल्लभ गार्डन क्षेत्र में बने हुए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के रखरखाव में लापरवाही इस कदर है कि वहां रिसाव करने वाले पानी से होने वाली खेती के जरिए सब्जियां उगाई जाती है और वही सब्जियां बीकानेर शहर की सब्जी मंडी में पहुंचती हैं.
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उन्होंने कहा कि जिससे स्वास्थ्य के साथ आमजन को नुकसान उठाना पड़ रहा है और कई बीमारियां भी शरीर में पहुंच रही है और इसके लिए सबसे पहले काम होना चाहिए. स्थानीय निवासी मुजीब खिलजी कहते हैं कि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को लेकर कार्य योजना बनाकर काम करने की जरूरत है और आज भी शहर का क़रीब 40 फ़ीसदी से ज्यादा क्षेत्र सीवरेज पूरी तरह से जुड़ा हुआ नहीं है और पूरी तरह से ट्रीटमेंट प्लांट भी काम नहीं कर रहे हैं ऐसे में गंदे जल की निकासी को लेकर पूरी तरह से बीकानेर में काम नहीं हुआ है तो वहीं वल्लभ गार्डन क्षेत्र में इसी सीवरेज के गंदे पानी से होने वाली सब्जियों को लेकर भी प्रशासनिक स्तर पर किसी तरह की कोई रोक नहीं है.