बीकानेर.संभाग के सबसे बड़े डूंगर महाविद्यालय में आधारभूत विकास के कई कामों को लेकर अब सरकार की रहनुमाई का इंतजार है. दरअसल पिछले 3 सालों तक पीटीईटी की परीक्षा का समन्वय का जिम्मा बीकानेर की डूंगर कॉलेज के पास था और कॉलेज में इस जिम्मेदारी को बड़ी बखूबी से निभाया. लेकिन सरकार की ओर से अब पीटीईटी समन्वयक कॉलेज को मिलने वाली ग्रांट (40 करोड़ रुपए) पिछले 4 सालों से नहीं मिल पाई (Bikaner college awaits grant amount of Rs 40 crore) है.
दरअसल, प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के साथ ही उच्च शिक्षा मंत्री के रूप में बीकानेर से विधायक भंवर सिंह भाटी को जिम्मेदारी मिली. भाटी ने पीटीईटी की परीक्षा का काम यहां के डूंगर कॉलेज को दिलवाया. तब इसे लेकर उनकी काफी वाहवाही भी हुई. क्योंकि पीटीईटी समन्वयक का काम संभालने के तौर पर अभ्यर्थियों से ली जाने वाली फीस की बचत का 50 फीसदी उस कॉलेज के विकास पर ही खर्च किए जाने का प्रावधान है. तब इस बात की उम्मीद जगी कि हर साल अनुमानित 15 करोड़ की ग्रांट मिलने से डूंगर कॉलेज में आधारभूत विकास तेजी से होगा.
तीन साल के 40 करोड़: तीन साल तक लगातार डूंगर कॉलेज ने इस परीक्षा को समन्वयक कॉलेज के रूप में पूरा करवाया. हर साल 15 करोड़ रुपए की ग्रांट डूंगर कॉलेज को मिलनी चाहिए थी. हालांकि उस वक्त कोरोना की महामारी से लड़ने के लिए डूंगर कॉलेज ने मुख्यमंत्री कोरोना फंड में 5 करोड़ रुपए दिए थे. दरअसल पूर्व में कॉलेज ग्रांट की राशि को काटकर शेष राशि सरकार के राजकोष में भेज दिया करता था.