बीकानेर.अक्षय तृतीया का हिंदू धर्म शास्त्रों में बड़ा महत्व बताया गया है. इस दिन किया गया दान पुण्य मांगलिक कार्य कई गुना फल देता है. इसी के चलते विवाह संस्कार यानी कि कन्यादान के लिए भी अक्षय तृतीया का मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त में शामिल है. वैसे तो किसी भी मांगलिक कार्य को करने के लिए मुहूर्त निकाला जाता है, लेकिन अक्षय तृतिया के दिन किए गए काम को लेकर किसी मुहूर्त की जरूरत नहीं होती और वह दिन श्रेष्ठ माना जाता है. इस बार अक्षय तृतीया के दिन भी पाणिग्रहण संस्कार और मांगलिक कार्यों के लिए धर्म शास्त्रों के अनुसार मनाही है. इस बार अक्षय तृतीया 22 अप्रैल दिन शनिवार को पड़ रही है.
ये हैं कारणःपञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि इस बार 13 मार्च के बाद गुरु अस्त होने से अप्रैल तक विवाह मुहूर्त नहीं हैं. जिसके चलते अक्षय तृतीया का अबूझ मुहूर्त भी विवाह के लिए नहीं है. इस बार अक्षय़ तृतीया पर गुरु का तारा अस्त है. इसलिए इस बार अक्षय तृतीया पर विवाह आदि के योग नहीं बन रहे हैं. दरअसल मार्च में गुरु का तारा अस्त हुआ था और अब 28 अप्रैल को गुरु उदय होंगे, तब तक विवाह मुहूर्त नहीं हैं. अब विवाह का सिलसिला मई से शुरू होगा और जून के अंत तक चलेगा. इस साल दिसंबर तक विवाह के करीब 50 मुहूर्त हैं.