भीलवाड़ा.वर्षा ऋतु में उमस व बिल में पानी भरने से तरह-तरह के जहरीले सांप बाहर निकल जाते हैं. कई बार ये जहरीले सांप किसानों को खेत में काम करते समय काटते लेते हैं. कई बार रिहायशी इलाकों के मकानों में भी सांप नजर आ जाते हैं. वन्यजीव रक्षक कुलदीप सिंह राणावत का कहना है कि वन्यजीव के रेस्क्यू के दौरान फील्ड में गलती की सजा केवल मौत (Mistake in wildlife rescue cost life) है. इसलिए बड़ी सावधानी से रेस्क्यू करना पड़ता है.
राणावत को जिले में जहां भी वन्यजीव व सांप की सूचना मिलती है, वे निशुल्क रेस्क्यू करने पहुंचते (Snake rescue expert free service) हैं. रेस्क्यू कर वन्यजीव को दूर जंगल में सुरक्षित छोड़ते हैं. राणावत ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा मैं इंसान व वन्यजीवों के बीच दीवार बनकर काम करता हूं. मुझे भी डर लगता है, लेकिन ट्रेनिंग लेने के कारण मुझे अनुभव है. सांप के रेस्क्यू के दौरान जिस दिन गलती होगी, उसी दिन हमारी फोटो पर भी माला चढ़ जाएगी. राणावत ने अब तक 2800 से ज्यादा सांपों का रेस्क्यू किया है. वे जिले में 5 वर्ष से वन्यजीवों का रेस्क्यू कर रहे हैं. अब तक 3800 रेस्क्यू कर चुके हैं. सांपों के अलावा इन्होंने पैंथर, जरक, मगरमच्छ, भालू सहित अन्य वन्यजीवों का भी रेस्क्यू किया है.
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राणावत का कहना है कि मुझे यह फिल्ड पसंद है. मैं पहले विदेश जाने के लिए होर्स राइडिंग की ट्रेनिंग लेने बेंगलुरु गया था. वहां वर्ष 2005 में ट्रेनिंग लेने के दौरान मुझे वन्यजीवों के रेस्क्यू का काम काफी पसंद आया. मैंने तुरंत हॉर्स राइडिंग छोड़कर वन्यजीव की रक्षा के लिए रेस्क्यू सीखा. उसके बाद मैं यहां आकर वर्ष 2018 तक निजी फैक्ट्री में काम करता था. लेकिन वर्ष 2018 के दिसंबर माह में एशिया की वन्यजीव रक्षक की सात टीमें राजस्थान आई थी. इसमें मुझे ट्रेनर का मौका मिला था.
वहां दूसरे प्रदेश से आये वन्यजीव रक्षक ट्रेनर ने कहा कि भीलवाड़ा में 95 प्रतिशत वन्यजीवों के मरने का आंकड़ा है. उसी दिन मेरे मन में ख्याल आया कि आज से हमारे को वन्यजीव की रक्षा करनी है. तब से मैं वन्यजीव रक्षा के लिए काम कर रहा हूं. बेंगलुरु में ट्रेनिंग के बाद मैं वर्ष 2018 में वन्यजीव की रक्षा के लिए और पारंगत होने के लिए उदयपुर पहुंचा और वर्ल्ड एनिमल रेस्क्यू सेंटर के सचिव चमन सिंह चौहान से मिलकर और ट्रेनिंग ली.