राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

दशा माता पूजन में भी कोरोना का असर, मास्क लगा कर महिलाओं ने की अर्चना...सुख-शांति का मांगा आशीष - worship with social distancing in Temple

भीलवाड़ा में चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि के दिन आज मंगलवार को दशा माता का पूजन किया गया. शहर में जहां एक तरफ कोरोना पर आस्था भारी दिखी तो वहीं कई जगहों पर महिलाओं ने मास्क लगाकर पूजा की.

दशा माता पूजन , Dasha Mata worship,  Women worshiped with masks, Bhilwara news
महिलाओं ने मास्क लगाकर की पूजा

By

Published : Apr 6, 2021, 4:24 PM IST

भीलवाड़ा. जिले भर में चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि के दिन आज मंगलवार को दशा माता का पूजन किया गया. शहर में जहां एक तरफ कोरोना पर आस्था भारी दिखी तो वहीं कई जगहों पर महिलाओं ने मास्क लगाकर पूजा की. परिवार में सुख, शांति और समृद्धि के साथ सुहाग की लंबी उम्र के लिए महिलाओं ने दशा माता की पूजा की. वहीं इस दौरान महिलाओं में कोरोना का असर भी देखने को मिला जिसमें महिलाओं ने मास्क लगाकर सोशल डिस्टेंसिंग के साथ मंदिरों में दशा माता की पूजा की.

महिलाओं ने मास्क लगाकर की पूजा

पढ़ें:चूरू में कोरोना महामारी पर आस्था पड़ी भारी, शीतलाष्टमी पर उमड़ा श्रद्धा का सैलाब

दशा माता की पूजा करने आई महिला दीपिका ने कहा कि आज के दिन घर में सुख-शांति और अपने सुहाग की लंबी उम्र को लेकर महिलाएं माता की पूजा करती हैं. वहीं प्रदेश में बढ़ रहे कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस बार हम मास्क लगाकर दशामाता की पूजा करने आए हैं. हमारा मानना है कि जब तक कोरोना गाइडलाइन के पालना नहीं करेंगे तब तक घर में सुख शांति नहीं आएगी. इस दिन दशा माता पूजन और व्रत परिवार को समस्याओं से मुक्ति प्रदान करने के साथ सुख समृद्धि और सफलता देने वाला होता है.

महिलाओं ने कच्चे सूत का 10 तार का डोरा लगाकर उसमें 10 गांठ लगाई और पीपल वृक्ष के तने पर कुमकुम, मेहंदी, लच्छा सुपारी आदि से पूजा के बाद सूत लपेट और पीपल के पेड़ की पूजा की. डोरे की पूजा करने के बाद पूजा स्थल पर नल दमयंती की कथा सुनी. वहीं डोरे को गले में धारण किया. पूजन के बाद महिलाओं ने घर पर हल्दी कुमकुम के छापे लगाए जाते हैं. दूसरी तरफ मीना जैन का कहना है कि महिलाएं इस दिन घर की साफ-सफाई कर कचरा बाहर फेंक कर घर की दशा सुधारने का प्रयास करती हैं. मान्यता है कि दशा माता व्रत को विधि विधान से पूजन व्रत करने पर 1 साल के भीतर जीवन से जुड़े दुख और समस्या दूर हो जाती है. इसी के साथ हम सभी महिलाओं ने मास्क पहनकर सोशल डिस्टेंसिंग के साथ पूजा की है.

पढ़ें:'कोरोना पर अगले 15 दिन के लिए सख्त फैसले लिए जाएंगे'

लूणी कस्बे में की पूजा

मंगलवार को लूणी कस्बे में पुरानी परंपरा का निर्वहन करते हुए आज भी हिंदू धर्म में दशामाता की पूजा तथा व्रत करने की परंपरा चली आ रही है. माना जाता है कि इस दिन महिलाएं कच्चे सूत का डोरा लाकर डोरे की कहानी कहती हैं. साथ ही पीपल की पूजा कर 10 बार पीपल की परिक्रमा कर उस पर सूत लपेटती है. वहीं डोरे में 10 गाट्ठे लगाकर गले में बांधकर रखती हैं. वहीं माना जाता है कि जब मनुष्य की दशा ठीक होती है तब उसके सभी कार्य अनुकूल होते हैं. लेकिन जब यह प्रतिकूल होती है तब मनुष्य को बहुत परेशानी होती है. इनसे निजात पाने के लिए इस व्रत को करने की मान्यता है. चैत्र महीने की दशमी पर महिलाएं दशामाता का व्रत करती हैं. यह व्रत खासतौर पर घर की दशा ठीक होने के लिए किया जाता है.

कैसे करें दशामाता का व्रत...

  • यह व्रत चैत्र (चैत) माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को किया जाता है
  • सुहागिन महिलाएं यह व्रत अपने घर की दशा सुधारने के लिए करती हैं
  • इस दिन कच्चे सूत का 10 तार का डोरा, जिसमें 10 गठानें लगाते हैं, लेकर पीपल की पूजा करती हैं
  • इस डोरे की पूजन करने के बाद पूजनस्थल पर नल-दमयंती की कथा सुनती हैं
  • इसके बाद डोरे को गले में बांधती हैं
  • पूजन के पश्चात महिलाएं अपने घरों पर हल्दी एवं कुमकुम के छापे लगाती हैं
  • एक ही प्रकार का अन्न एक समय खाती हैं
  • भोजन में नमक नहीं होना चाहिए
  • विशेष रूप से अन्न में गेहूं का ही उपयोग करते हैं
  • घर की साफ-सफाई करके घरेलू जरूरत के सामान के साथ-साथ झाडू इत्यादि भी खरीदेंगी
  • यह व्रत जीवनभर किया जाता है और इसका उद्यापन नहीं होता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details