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भीलवाड़ा में श्री मसानिया भैरू नाथ विकास समिति के युवाओं की अनोखी पहल - भीलवाड़ा में कोरोना मृतकों की संख्या

कोरोना की दूसरी लहर में अपनी जान गवां चुके लोगों की अस्थियां पवित्र गंगा नदी में प्रवाहित करने के लिए भीलवाड़ा शहर के जागरूक और धर्मनिष्ठ युवाओं ने एक अनोखी पहल शुरू की है. जिसमें वे 101 दिवंगत हुए लोगों की अस्थियां मोक्ष की प्राप्ति की आस में गंगा में विसर्जित करने के लिए निकले हैं.

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श्री मसानिया भैरू नाथ विकास समिति के युवाओं की अनोखी पहल

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Published : Jun 7, 2021, 6:24 PM IST

भीलवाड़ा.कोविड-19 (COVID-19) की दूसरी लहर इस बार प्रदेश में एक सुनामी की तरह आई है. जिससे कई लोग संक्रमित हुए हैं और कई लोगों ने इससे अपनी जान गवा चुके हैं. संक्रमण के इस दौर में अपने ही अपनों से दूर होने लगे हैं. ऐसे में इस लहर में अपनी जान गवां चुके लोगों की अस्थियां पवित्र गंगा नदी में प्रवाहित करने के लिए भीलवाड़ा शहर के जागरूक और धर्मनिष्ठ युवाओं ने एक अनोखी पहल शुरू की है.

श्री मसानिया भैरू नाथ विकास समिति के युवाओं की अनोखी पहल

इन्होंने नहीं केवल कोरोना संक्रमण की जंग में अपनी जिंदगी और मौत की लड़ाई में हार गए लोगों की अस्थियां संभाल कर रखा. बल्कि अब यह लोग 101 दिवंगत हुए लोगों की अस्थियां मोक्ष की प्राप्ति की आस में गंगा में विसर्जित करने के लिए निकले हैं. यहीं नहीं इन्होंने कोरोना संक्रमण की पहली लहर में भी जान गवां चुके 300 से अधिक लोगों की अस्थियां 11 बार हरिद्वार गंगा में विसर्जित कर चुके हैं. श्री मसानिया भैरू नाथ विकास समिति के अध्यक्ष रवि कुमार खटीक ने कहा कि प्रदेश में कोरोना की शुरुआत सबसे पहले भीलवाड़ा में हुई.

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कोरोना की जब पहली लहर आई तो कई व्यक्तियों ने अपने परिजनों की अस्थियों को पंचमुखी मुक्तिधाम में ही छोड़ दिया था. उन्हें लेकर भी नहीं गए. जिसके बाद हमने उन्हें हरिद्वार ले जाने का निर्णय लिया. पहली बार हम 301 अस्थि कलश हरिद्वार ले जाकर पवित्र गंगा नदी में उनका विसर्जित किया था. इस बार भी हम 101 अस्थि कलश हरिद्वार ले जा रहे हैं.

दूसरी तरफ श्री मसानिया भैरू नाथ मंदिर के पुजारी संतोष कुमार खटीक ने कहा कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में यह वाकया भी देखने को मिला. जहां लोग अपने परिजनों का अंतिम संस्कार करने के लिए ही नहीं आते थे. इन अस्थियों को वह दोबारा लेने के लिए भी नहीं आए. ऐसे में हम इन अस्थि कलश को हरिद्वार ले जाकर विधि-विधान से वैदिक मंत्रोचार के साथ विसर्जित करते हैं. जिससे कि व्यक्तियों की आत्मा को शांति प्रदान हो. हम यह कार्य स्वयं की ओर से जुटाई राशि से ही करते हैं.

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