भीलवाड़ा.प्रदेश की गहलोत सरकार के 2 वर्ष पूरे होने पर वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा के वस्त्र उद्यमियों का ईटीवी भारत पर दर्द छलक पड़ा. उन्होंने कहा कि 2 वर्ष से गहलोत सरकार की घोषणाओं पर हम आंख से टकटकी लगाकर इंतजार कर रहे हैं. वहीं, एक छात्रा ने कहा कि प्रदेश में बालिका अत्याचार बढ़े हैं. इससे प्रदेश की बहन-बेटियां भी सुरक्षित नहीं है. शिक्षित बेरोजगार भी कम पैसे में नौकरी करने को मजबूर हैं.
मेवाड़ चेंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष अनिल मानसिंहगा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि भीलवाड़ा वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात है. यहां करीब 18 हजार से 20 हजार करोड़ रुपए का वार्षिक टर्नओवर है. भीलवाड़ा में 400 वीविंग, 22 प्रोसेसिंग और 13 स्पिनिंग यूनिट है. अगर 2 वर्ष की उपलब्धता की बात करें तो कोई बदलाव नहीं आया है, जिसको हम सुविधाजनक मान सकें.
मानसिंहगा ने कहा कि कुछ समय तो कोरोना काल में चला गया. अगर दूसरे राज्य की वस्त्र पॉलिसी देखें तो वहां की पॉलिसी में टेक्सटाइल में काफी सुविधा है. महाराष्ट्र की पॉलिसी के तहत टेक्सटाइल के लिए बहुत सहूलियत है, वहां बिजली सस्ती है और यहां महंगी बिजली पर काम करना पड़ रहा है. महाराष्ट्र में उद्योगपति को सस्ती बिजली मिलती है.
2 साल में नहीं मिली कोई सुविधा...
हमारी मांग थी कि लॉकडाउन के समय का फिक्स चार्ज हटाया जाए, जबकि वर्तमान में सरकार ने लैंड टैक्स और फायर टैक्स लगा दिया है. यहां की इंडस्ट्रीज को थोड़ा संबल देने के लिए अगर सरकार कुछ सुविधा देती है तो इंडस्ट्रीज वापस पटरी पर लौट सकती है. लेकिन 2 साल में तो कोई सुविधा नहीं मिली, अब आगे 3 वर्ष हम उम्मीद कर रहे हैं.
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वहीं, भीलवाड़ा टैक्सटाइल ट्रेड फेडरेशन के महासचिव प्रेम स्वरूप गर्ग ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि हमारी नजरें सिर्फ मुख्यमंत्री की घोषणाओं पर आंख से टकटकी लगाकर इंतजार कर रही है. कुछ कार्यकाल कोरोना काल में बीता, लेकिन उद्योग चालू होने पर विद्युत दरें बढ़ने और लेबर पेमेंट से परेशानी आ गई. हमें सरकार से अनुदान के लिए तरसना पड़ रहा है.