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खलियानों ने ओढ़ी पीली चादर, पिछले साल से डेढ़ गुना ज्यादा हुई सरसों की बुवाई - DAP in Bhilwara

भीलवाड़ा में इस बार सरसों की बुवाई पिछले साल की तुलना में डेढ़ गुना ज्यादा हुई है. मौसम में बदलाव के चलते सरसों के पौधों में फूल आना शुरू हो गए हैं. कृषि उपनिदेशक के अनुसार जहां पिछले वर्ष 40 हजार हेक्टेयर में सरसों की बुवाई हुई थी. वह इस साल बढ़कर 60 हजार हैक्टेयर तक पहुंच गई (Sowing of mustard increased this year) है.

Sowing of mustard increased this year in Bhilwara
खलियानों ने ओढ़ी पीली चादर, पिछले साल से डेढ़ गुना ज्यादा हुई सरसों की बुवाई

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Published : Nov 23, 2022, 4:51 PM IST

भीलवाड़ा. जिले में गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष 33 प्रतिशत अधिक सरसों की बुवाई हुई है. मौसम अनुकूल होने के चलते किसानों के खलियानों ने पीली चादर ओढ़ ली है. मौसम परिवर्तन होने की वजह से इस बार सरसों के पौधों में फ्लावरिंग हो चुकी (flowering in Mustard crop in Bhilwara) है.

कृषि उपनिदेशक रामपाल खटीक ने बताया कि पिछली बार के 40 हजार हेक्टेयर के मुकाबले इस बार 60 हजार हेक्टेयर भूमि में सरसों की फसल की बुवाई हुई है. इस फसल के लिए कम पानी की जरूरत होती है. गत वर्ष की तुलना में इस बार सरसों की बुआई का 33 प्रतिशत एरिया बढ़ा है. वर्तमान में जौ, सरसों व चने की फसल की बुआई पूरी हो चुकी है. गेहूं की बुआई हो रही है.

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सरसों की फसल बुआई का रकबा इस बार इसलिए बढ़ा कि गत वर्ष अधिक पैदावार के साथ ही किसानों द्वारा उपज बेचने के समय अधिक मूल्य मिलने के कारण किसानों ने इस बार सरसों की बुआई के प्रति रुझान बढ़ा है. वहीं यूरिया खाद की किल्लत के सवाल पर उन्होंने कहा कि मांग के अनुरूप आधा यूरिया खाद ही मिला है. जहां कृषि विभाग के कर्मचारियों व अधिकारियों की मौजूदगी में किसानों को यूरिया खाद वितरित किया जा रहा है.

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जिले में डीएपी व यूरिया खाद को लेकर कृषि उपनिदेशक ने कहा कि डीएपी खाद प्रचुर मात्रा जिले में उपलब्ध है. यूरिया की जिले में 37 हजार मीट्रिक टन की जरूरत रहती है. अब तक 18 हजार मीट्रिक टन यूरिया मिल चुका है. यूरिया की और रेक जल्द आने वाली है. कृषि उपनिदेशक ने कहा कि यूरिया खाद कृषि विभाग के अधिकारियों की निगरानी में ही वितरित किया जा रहा है. हमें मांग के अनुरूप अभी आधा यूरिया खाद मिला है. लेकिन यूरिया की सबसे ज्यादा गेहूं की फसल में जरूरत होती है. इसलिए अब जो हमारे पास यूरिया खाद आएगा, वह गेहूं की फसल के लिए ही काम आएगा.

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