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सलामुद्दीनः ठिठुरती ठंड में डुबकी लगाते हैं, जिससे अपना और परिवार का पेट पाल सकें

भीलवाड़ा जिले के मांडलगढ़ में नदियों का संगम होने के कारण यहां भगवान शिव का विशाल मंदिर है, जहां सावन के महीने में काफी संख्या में श्रद्धालु भगवान भोले नाथ के दर्शन करने आते हैं. यहां, पूजा-अर्चना के दौरान श्रद्धालु एक-दो रुपए के कुछ सिक्के भी नदी में प्रवाह कर देते हैं, जिसको सनातन धर्म में शुभ माना जाता है. इन्ही सिक्कों को पाने के लिए सलामुद्दीन दिनभर ठिठुरती ठंड में डुबकी लगाकर छलनी से छानते हैं.

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Published : Dec 26, 2020, 2:26 PM IST

Triveni Sangam Bhilwara, राजस्थान हिंदी समाचार
ठिठुरती ठंड में सिक्का तलाशते सलामुद्दीन

भीलवाड़ा.देशभर में धार्मिक स्थल के बाहर भिखारी और अन्य व्यक्ति भीख मांग कर अपना पेट भरते हैं, लेकिन भीलवाड़ा जिले के मांडलगढ़ क्षेत्र में स्थित प्रसिद्ध त्रिवेणी संगम पर इसके विपरीत नजारा देखने को मिला. त्रिवेणी संगम पर स्थित प्रसिद्ध भगवान भोलेनाथ के मंदिर के पास से गुजरने वाली नदियों में पूजा के दौरान डाले गए एक-एक रुपए को तराश कर 2 जून की रोटी का जुगाड़ कर रहे हैं.

ठिठुरती ठंड में सिक्का तलाशते सलामुद्दीन

दरअसल, मंदिर, मस्जिद और चर्च के बाहर काफी संख्या में भिखारी और काम नहीं करने वाले व्यक्ति एक-एक पैसे के इंतजार में वहां आए श्रद्दालुओं और पर्यटकों से टकटकी लगाए बैठे रहते हैं. लेकिन, भीलवाड़ा जिले के मांडलगढ़ क्षेत्र में स्थित प्रसिद्ध त्रिवेणी संगम पर एक अनूठा नजारा देखने को मिला. ईटीवी भारत की टीम भीलवाड़ा जिले के मांडलगढ़ क्षेत्र के प्रसिद्ध त्रिवेणी संगम पर पहुंची, जहां त्रिवेणी संगम पर भगवान भोलेनाथ का प्रसिद्ध शिव मंदिर है. इस मंदिर के बाहर बैठे लोग वहां से गुजरने वाली नदी में से एक-एक रूपया ढूंढ कर दो जून की रोटी का इंतजाम कर रहे हैं.

ठिठुरती ठंड में सिक्का तलाशते सलामुद्दीन

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जिले के मांडलगढ़ क्षेत्र में प्रसिद्ध त्रिवेणी संगम है, जहां बनास, बेडच और मेनाली नदी का संगम है. इन तीनों नदियों का संगम होने के कारण यहां विशाल भगवान भोलेनाथ का मंदिर स्थित है, जहां सावन माह में काफी संख्या में श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने आते हैं. साल में जब भी सोमवती अमावस्या होता है, तब कालसर्प दोष की विशेष पूजा-अर्चना होती है. पूजा के दौरान जो पूजन सामग्री और दक्षिणा के रूप में कुछ पैसे होते हैं, उसे नदी में प्रवाह किए जाते हैं, जिसको शुभ माना जाता है. इन्हीं पैसों को दिनभर इस ठिठुरन भरी सर्दी में पानी में डुबकी लगाकर छलनी के माध्यम से एक-एक रूपया तराश कर दो जून की रोटी कमाते हैं. बता दें, इन तीनों नदियों का पानी टोंक जिले में स्थित प्रसिद्ध बिसलपुर बांध में जाता है. जिससे अजमेर और जयपुर जिले के निवासियों की प्यास बुझती है.

त्रिवेणी संगम पर स्थित शिव मंदिर

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सलामुद्दीन ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि मैं इस त्रिवेणी संगम पर पिछले 30 से 35 वर्ष से यह कार्य कर रहा हू. यहां पूजा के दौरान नदी में प्रवाह की गई दक्षिणा के रूप में पैसे को तराश कर मै अपना घर परिवार चलाता हूं. मैं भीख मांगना मुनासिब नहीं समझता हूं, इसलिए मैं कर्म में विश्वास करता हूं. मैं यहां मंदिर के बाहर भीख नहीं मांगता हूं, बल्कि नदी में प्रवाह किए गए रूपये को ढूंढ कर घर परिवार चलाता हूं.

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