भीलवाड़ा.कांग्रेस पार्टी की ओर से विधानसभा चुनाव को लेकर जारी पांचवीं सूची में भीलवाड़ा जिले की आसींद व जहाजपुर विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशियों की घोषणा की गई है. आसींद विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 2018 के चुनाव के प्रत्याशी के स्थान पर इस बार पार्टी ने उनके पिता पर भरोसा जताया और उन्हें उम्मीदवार घोषित कर दिया है. वहीं, जहाजपुर सीट से कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव को उम्मीदवार बनाया गया है.
जिले के आसींद विधानसभा क्षेत्र से पार्टी ने पूर्व विधायक हगामी लाल मेवाड़ा को प्रत्याशी बनाया है. पार्टी ने बेटे पर विश्वास न करके फिर से बाप पर भरोसा जताया है. वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव व बीज निगम के अध्यक्ष धीरज गुर्जर को जहाजपुर से टिकट दिया गया है. दोनों प्रत्याशियों के समर्थकों में खुशी की लहर है.
चौथी बार धीरज गुर्जर बने प्रत्याशी :कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव धीरज गुर्जर जहाजपुर विधानसभा क्षेत्र से चौथी बार चुनावी मैदान में आएंगे. उन्होंने पहला चुनाव 2008 में जहाजपुर विधानसभा सीट से ही लड़ा था तब उनकी हार हुई थी. इसके बाद 2013 में धीरज गुर्जर विजयी हुए थे. वहीं, 2018 के चुनाव में वर्तमान भाजपा विधायक गोपीचंद मीणा से वे पराजित हुए थे. ऐसे में अब पार्टी ने धीरज गुर्जर पर फिर से विश्वास जताते हुए चौथी बार चुनावी मैदान में उतारा है. ऐसे में इस बार भी 2018 की तरह दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों के बीच वैसा ही मुकाबला देखा जा सकता है. बता दें कि जहाजपुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा की ओर से गोपीचंद मीणा को उतारा गया है.
पढ़ें :Rajasthan Election 2023 : गौरव वल्लभ बोले- कन्हैया हत्याकांड का 'राज' जल्द बाहर लाऊंगा
ये है मेवाड़ा का सियासी इतिहास : आसींद विधानसभा क्षेत्र से हगामी लाल मेवाड़ा को कांग्रेस पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है. हगामी लाल मेवाड़ा ने पहला चुनाव वर्ष 2000 के उपचुनाव में लड़ा था, तब भाजपा की ओर से रामलाल गुर्जर विजयी हुए थे. वहीं वर्ष 2003 के मुख्य चुनाव में मेवाड़ा ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में हगामीलाल विजयी हुए थे. इसके बाद 2008 में हगामीलाल को पार्टी ने फिर से प्रत्याशी बनाया लेकिन इस बार वो हार गए, और फिर से भाजपा के रामलाल गुर्जर दुसरी बार विजयी होकर विधानसभा पहुंचे. 2013 में कांग्रेस पार्टी ने मेवाड़ा को उम्मीदवार ना बनाकर वर्तमान राजस्व मंत्री रामलाल जाट को प्रत्याशी बनाया था.
इस बार मेवाड़ा ने बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा. परिणाम यह हुआ कि कांग्रेस उम्मीदवार और वो खुद पराजित हो गए और भाजपा के तत्कालीन विधायक रामलाल गुर्जर तीसरी बार विजयी हुए. अब बारी थी 2018 के विधानसभा चुनाव की. इस चुनाव में पार्टी ने दो बार हारे हुए विधायकों को टिकट नहीं देने का फैसला लिया था. ऐसे में हगामी लाल मेवाड़ा को कांग्रेस पार्टी ने टिकट नहीं देकर उनके छोटे बेटे मनीष मेवाड़ा को प्रत्याशी बनाया था. 2018 के उस चुनाव में मनीष मेवाड़ा और भाजपा प्रत्याशी जब्बर सिंह सांखला के बीच कड़ा मुकाबला हुआ. पार्टी इस बार भी हार गई और जब्बर सिंह सांखला विधानसभा पहुंचे. इस बार पार्टी ने बेटे पर विश्वास न करके एक बार फिर बाप पर विश्वास किया है. कांग्रेस ने हगामी लाल मेवाड़ा को चुनावी मैदान में उतारा है. ऐसे में इस बार भाजपा की ओर से जब्बर सिंह सांखला व कांग्रेस की ओर से हगामी लाल मेवाड़ा के बीच मुकाबला होगा.
पढ़ें : Rajasthan Election 2023 : अजमेर की इन दो सीटों पर फंसा सियासी पेंच, भाजपा और कांग्रेस दोनों कशमकश में
2018 में मेवाड़ा के बेटे की प्रदेश में सबसे छोटी हार : वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में हगामी लाल मेवाड़ा के छोटे बेटे मनीष मेवाड़ा और भाजपा की ओर से जब्बर सिंह सांखला के बीच रोचक मुकाबला हुआ, जिसमें मनीष मेवाड़ा 154 मतों से पराजित हुए. यह हार राजस्थान में सबसे कम मतों के अंतर की हार थी. ऐसे में पार्टी उन्हीं को उम्मीदवार बनाना चाहती थी, लेकिन क्षेत्र के कार्यकर्ताओं व कांग्रेस के आंतरिक सर्वे में बेटे के बजाय बाप पर जनता का विश्वास ज्यादा होने के कारण हगामी लाल मेवाड़ा को पार्टी ने फिर से प्रत्याशी बनाया है.