भीलवाड़ा. राजस्थान प्रदेश में सबसे पहले कोरोना का पॉजिटिव मरीज भीलवाड़ा में मिला. जिसके बाद प्रशासन, पुलिस और चिकित्सकों की कड़ी मेहनत के बाद कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में कमी आई है. वहीं भीलवाड़ा देशभर में कोरोना संक्रमण पर लगाम लगाने के कारण रोल मॉडल बना. इस प्रयास में भीलवाड़ा के राजमाता विजय राजे सिंधिया मेडिकल कॉलेज (RVRS) के प्रिंसिपल डॉ. राजन नंदा का अहम योगदान रहा. डॉक्टर राजन नंदा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे भीलवाड़ा ने कोरोना से जंग लड़ी और देश के सामने मिसाल कायम की.
प्रदेश में सबसे पहले कोरोना वायरस के मरीज भीलवाड़ा में ही मिले थे. इसके बाद संख्या लगातार बढ़ती ही रही थी और यह बढ़कर 27 तक पहुंच गई थी. लेकिन अब जिले में पॉजिटिव मरीजों की संख्या में दिनोंदिन कमी आ रही है. जिसके बाद कोरोना वॉरियर्स के प्रयास से अब केवल 3 कोरोना पॉजिटिव रह गए हैं. इन मरीजों कि 2 बार जांच रिपोर्ट नेगेटिव आ चुकी है. तीसरी बार रिपोर्ट नेगेटिव आने पर इनको घर भेज दिया जाएगा.
प्रशासन ने सख्ती से काम लिया, तभी संक्रमण का चेन टूटा
इस सफलता पर भीलवाड़ा मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. राजन नंदा ने कहा कि 18 मार्च को पहले मरीज का सैंपल लिया. मरीज जो कि स्वयं डॉक्टर थे, उन्हें भी लग रहा था कि वह ठीक नहीं हैं. उनकी जांच रिपोर्ट 19 मार्च को पॉजिटिव आई. जिसके बाद 19 मार्च को उसी अस्पताल के 10 से 12 और कर्मचारी भी पॉजिटिव आए.
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जिससे लगा कि स्थिति बहुत अलार्मिंग है. जिसके बाद जिला प्रशासन को इसकी सूचना दी गई और प्रदेश सरकार को अवगत करवाया गया. जिसके बाद दूसरे जिले की मेडिकल टीम यहां पहुंची और प्रशासन ने सख्ती के साथ काम किया. इसीलिए कोरोना की संक्रमण की गति आगे नहीं बढ़ी.
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