भीलवाड़ा.हाल ही में भारत चीन की सीमा पर विवाद हुआ था. जिसमें देश के बीस जवानों की शहादत हुई थी. इसको लेकर भीलवाड़ा के राष्ट्रीय कवि योगेंद्र शर्मा ने चीन को चुनौती भरी कविता लिखी है. इस देशभक्ति कविता को जो कोई भी सुन रहा है उनका इन सैनिकों के सम्मान में सीना गर्व से ऊंचा हो रहा है.
राष्ट्रीय कवि योगेंद्र शर्मा ने ईटीवी भारत के माध्यम से चीन को चुनौती दी. कवि योगेंद्र शर्मा ने ईटीवी भारत पर अपनी कविता प्रस्तुत करने से पहले कहा कि दरअसल जब देश के 20 जवानों की शहादत हुई मेरे मन में बहुत पीड़ा हुई.
पढ़ें राष्ट्रीय कवि की कविता-
रे! शायद तुमने सोच लिया,
यह भारत वही पुराना है.
अपनी मिचमिच आँखें खोलों,
बासठ का नहीं जमाना है.
ऐसा लगता हथियारों की,
ताकत के मद में फूले हो.
अक्साईचिन तक भारत है,
इस सच्चाई को भूले हो.
मत रहना किसी भुलावे में,
बासठ के बाद नहीं देखा.
भारत के वीर जवानों का,
उद्भट उन्माद नहीं देखा.
रे! भारत माँ के बेटों का,
घातक प्रतिघात नहीं देखा.
शैतान सिंह की हिम्मत का,
तुमने फौलाद नहीं देखा.
हम लोक-शांति के आराधक,
लेकिन अरि-घात नहीं सहते.
अंगिरा-भृगू की संतानें,
पानी की धार नहीं बहते.
'जननी जन्मभूमि' के गायक,
हम भारत-भू को माँ कहते.
उस माँ पर कोई घात करे,
तो वीर प्रशान्त नहीं रहते.
खर-दूषण मार दिए पल में,
उनका भी दम्भ भयंकर था.
वह रक्ष-वंश का कुलघाती,
दसकंधर भी प्रलयंकर था.
पर जब सारंग उठा लेंगे,
महि पर आकाश झुका देंगे.