भीलवाड़ा.जिले में नगर विकास न्यास और नगर परिषद दोनों ही अपने जलाशयों में सरकार द्वारा बैन मांगुर मछली को पाल रहे हैं. जिस कारण इन जलाशयों में रहने वाले अन्य जलीय जीव का जीवन समाप्त होता जा रहा है. कैटफिश कही जाने वाली यह मांगुर मछली मांसाहारी है, जो जलाशयों में रहने वाले अन्य जीवों को अपना भोजन बनाकर उनका जीवन समाप्त कर रही है. साथ ही जलाशयों को भी गंदा कर रही है.
भीलवाड़ा के जलाशयों में पल रही मांगुर मछली समाजसेवी महेश नहवाल का कहना है कि जिले में प्राचीन नेहरू तालाई और गांधी सागर तालाब क्षेत्रवासियों के लिए पर्यटन स्थल बना चुका है. जिनके सौंदर्यीकरण के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जा चुके हैं. वहीं तालाबों में गंदगी से निपटाने के लिए न्यास और नगर परिषद में मांगुर मछली के बीज डाले थे, परंतु यह है मछली तलाब को गंदा कर रही हैं, साथ ही जलाशयों में मौजूद अन्य जीवों को खा रही हैं.
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गौरतलब है कि भारत सरकार द्वारा सन 2000 में विदेशी मांगुर और बिगहेड मछली नष्ट करने के लिए निर्देश दे दिए थे.भीलवाड़ा मत्स्य विभाग ने कई बार इसको हटाने और नष्ट करने के लिए भी सूचित किया था. मगर अभी तक न्यास और परिषद ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
जब इस बारे में ईटीवी भारत ने नगर विकास न्यास के एक्सन रामेश्वरलाल से बात करनी चाही तो उन्होंने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि सरकार द्वारा इस मछली को बैन करने के बारे में ज्ञात नहीं था. यदि सरकार ने इस पर बैन लगा रखा है तो हम इन मछलियों को यहां से हटाने के लिए जल्द से जल्द आदेश दिए जाएंगे. यह मछलियां हमने जलाशयों को साफ करने के लिए डाली थी. जिससे कि जलाशयों में गंदगी ना हो.