Ramdayal Maharaj on Ramcharit Manas controversy भीलवाड़ा. रामचरित मानस पर राजनेताओं की ओर से दिए गए बयान को लेकर संत समाज ने गहरी नाराजगी जताई है. जिले में एक कार्यक्रम में आए अंतरराष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय शाहपुरा के जगद्गुरु श्री श्री 1008 राम दयाल जी महाराज ने रामचरित मानस से जुड़े विवाद पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि जिन्होंने पूर्व में भी देश, धर्म, संस्कृति और रामचरितमानस पर गलत बयान दिया उनका अंजाम देख ही रहे हो, अब जो राजनेता इस पवित्र ग्रंथ के बारे में बोल रहे हैं उनके खिलाफ भी सरकार को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए. उन्होंने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.
रामचरितमानस पर की गई टिप्पणी से उठा विवाद अब राजस्थान तक पहुंच चुका है. इस विवाद को लेकर रामस्नेही संप्रदाय के जगद्गुरु श्री श्री 1008 राम दयाल जी महाराज की एंट्री हो गई. संत रामदयाल महाराज ने न केवल स्वामी प्रसाद मौर्य और बिहार के शिक्षा मंत्री की विवादित टिप्पणी की निंदा की बल्कि दोनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की. उन्होंने कहा कि संत समाज पूरे घटनाक्रम को बहुत बारीकी से देख रहा है. इन टिप्पणियों को लेकर गहरी नाराजगी जताते हुए उन्होंने कहा कि जल्द ही इस प्रकरण पर संत समाज रणनीति बनाकर लड़ाई लड़ेगा.
पढ़ें.बिहार के मंत्री के बाद सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य का रामचरित मानस पर आपत्तिजनक बयान, कहा- चौपाइयों में किया गया दलितों का अपमान
राम दयाल जी महाराज ने प्रेस से मुखातिब होते हुए राजनेताओं की ओर से रामचरितमानस पर उठाए गए सवाल को लेकर कहा कि पहले भी रामचरित मानस, धर्म और संस्कृति के खिलाफ जिन लोगों ने गलत शब्द या गलत बयानबाजी की है उनको अंजाम भुगतने पड़े हैं. इसके लिए मैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग करता हूं कि रामचरितमानस पर आवाज उठाने वाले सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य को तुरंत गिरफ्तार करवाएं.
उन्होंने कहा कि गुलाब हमेशा सुगंध ही देता है और अगर किसी को सुगंध नहीं आती है तो वह उनकी नाक का दोष है न कि गुलाब का. रामचरितमानस भी गुलाब की भांति है. रामचरित मानस व संत विकृति को समाप्त कर संस्कृति को जन्म देता है. हमारे शास्त्र वेद, पुराण, उपनिषद पर कई बार लोगों ने अपनी समझ के अनुरूप बात कही है. उसका समाज पर कोई असर पड़ने वाला नहीं है. रामचरित मानस पर राजनेताओं के विवादित बयान की संत जगत घोर निंदा करता है.
जगद्गुरु ने कहा कि राजनीति करने वाले यह बात भूल जाते हैं कि राज के अंदर नीति व धर्म अपने आप विद्यमान है. नीति, धर्म, संस्कृति और संत को अलग रखकर राज करना संभव होता तो राजतंत्र का यह अंजाम नहीं होता. जिन लोगों ने संत साहित्य को गहराई से नहीं पढ़ा है वह केवल विवाद उत्पन्न कर रहे हैं या तो वो अपनी नादानी का परिचय दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि वह इतना ही कहना चाहते हैं कि जो कुछ महापुरुषों ने लिखा है वह आज भी सत्य है.