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Womens Day Special: इस महिला पुलिस अधिकारी ने आसाराम को पहुंचाया था सलाखों के पीछे - भीलवाड़ा की पुलिस अधीक्षक

8 मार्च को दुनिया भर में महिला दिवस मनाया जाता है. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत एक आंदोलन से हुई थी. तकरीबन 113 साल पहले साल 1908 में इसकी शुरुआत हुई थी. इस महिला दिवस पर हम आपको राजस्थान की एक महिला पुलिस अधिकारी से मिलवाते हैं, जिसने यौन शोषण के आरोपी आसाराम की गिरफ्तारी में अहम भूमिका निभाई थी.

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अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक चंचल मिश्रा

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Published : Mar 7, 2021, 2:11 PM IST

भीलवाड़ा.दुष्कर्म के आरोप लगने के बाद लाखों समर्थकों वाले आसाराम को दूसरे राज्य में जाकर गिरफ्तार करना आसान काम नहीं था, लेकिन यह काम राजस्थान की एक महिला पुलिस अधिकारी चंचल मिश्रा ने कर दिखाया. चंचल मिश्रा उस समय जोधपुर में एसीपी के पद पर थीं. वह अभी भीलवाड़ा में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पद पर तैनात हैं.

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक चंचल मिश्रा से खास बातचीत

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बता दें कि यौन शोषण के आरोपी आसाराम के मामले की चार्जशीट चंचल मिश्रा ने ही तैयार की थी और वकीलों ने भी कहा था कि इस मामले की सबसे बड़ी मजबूती इसकी चार्जशीट थी. इसके चलते ही आसाराम को एक बार भी जमानत नहीं मिल पाई. गवाही के दौरान भी चंचल मिश्रा सख्ती से डटी रहीं. चंचल मिश्रा ने बताया कि हम जब आसाराम को पकड़ने गए तो वह हजारों समर्थकों से घिरा हुआ था. जब आश्रम के लोगों ने हमें सहयोग नहीं दिया तो हमें सख्ती भी करनी पड़ी, लेकिन मध्य प्रदेश पुलिस व राजस्थान पुलिस के अधिकारियों के बीच समन्वय बहुत अच्छा था और इसी कारण यह गिरफ्तारी हो पाई.

आरोपी आसाराम को पकड़ना आसान नहीं था

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर ईटीवी भारत ने गंगापुर की अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक चंचल मिश्रा से खास बातचीत की. यौन शोषण आरोपी आसाराम को सलाखों के पीछे पहुंचाया, उस समय कितनी चुनौती आई इस पर पुलिस अधिकारी चंचल मिश्रा ने कहा कि आसाराम को सलाखों के पीछे पहुंचाना चुनौतीपूर्ण काम था. उन्होंने कहा कि लाखों समर्थकों वाले आसाराम को दूसरे राज्य में जाकर गिरफ्तार करना आसान काम नहीं था. उन्होंने कहा कि आरोपी आसाराम को पकड़ने के बाद मुझे अच्छा फीडबैक मिला था.

'छोटे स्तर पर काम करना होगा'

महिला दिवस के पहले भीलवाड़ा जिले के गंगापुर की अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक चंचल मिश्रा ने महिलाओं को जागरूक करने के लिए संबोधित किया. चंचल मिश्रा ने कहा कि आज मैं महिलाओं के साथ खड़ी हूं. उन्होंने कहा कि छोटे-छोटे स्तर पर काम होगा तो बड़े स्तर पर महिला सशक्तिकरण के जो विचार हैं वह और ज्यादा साफ होगा. इस दौरान उन्होंने कहा कि राजस्थान की महिलाएं जब तक अपने हक की बात किसी को कहना नहीं सिखेंगी तब तक कोई दूसरा आपके हक के लिए घर आकर लड़ने वाला नहीं है.

पुलिस की नौकरी नहीं है हार्ड

ईटीवी भारत से बात करते हुए मिश्रा ने कहा कि मैं पुलिस की नौकरी को हार्ड नहीं मानती हूं. उन्होंने कहा कि सभी महिलाएं भी दिन भर कितना हार्ड काम करती हैं और परिवार चलाती हैं, लेकिन कोई भी काम अगर हम मन से करते हैं या वो काम अपनी इच्छा का काम हो तो वो मुश्किल नहीं लगता है.

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महिलाओं की सबसे बड़ी ताकत वे खुद हैं

महिला दिवस के मौके पर प्रदेश की महिलाओं को संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि महिलाओं की सबसे बड़ी ताकत वह खुद हैं. सबसे पहले उनको बाहर निकलना होगा और उनको अपने अंदर की ताकत को पहचानना होगा. साथ ही अपनी आवश्यकताओं और जरूरतों को खुलकर कहने की हिम्मत करनी पड़ेगी, तभी उनका विकास हो पाएगा.

महिलाओं को आना चाहिए आगे

महिला प्रताड़ित होने के बाद भी पुलिस तक नहीं पहुंचती है, सवाल के जवाब में चंचल मिश्रा ने कहा कि कोई दूसरा आपके हक के लिए आगे आकर लड़ने वाला नहीं है. प्रशासन के साथ ही हमें भी कार्रवाई के लिए आपकी जरूरत पड़ेगी. अगर महिला पुलिस के पास समस्या लेकर नहीं आएंगी तो पुलिस कार्रवाई कैसे करेगी. उन्होंने कहा कि अपनी समस्याओं को लेकर महिलाओं को आगे आना चाहिए.

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बेटा-बेटी में फर्क के सवाल पर चंचल मिश्रा ने कहा कि बेटा और बेटी में फर्क नहीं समझे. उन्होंने कहा कि लोग बेटे को भी यह सिखाएं कि आपको महिलाओं का कैसे रेस्पेक्ट करना है. अगर इसकी शुरुआत सबसे पहले अपने घर से करेंगे तो निश्चित रूप से देश में महिलाओं और बेटियों का सम्मान दिनों दिन बढ़ता जाएगा.

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