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Published : Sep 11, 2020, 10:22 PM IST

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SPECIAL: भीलवाड़ा वासियों के लिए हरनी महादेव की पहाड़ी बनी 'प्राणवायु'

वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा शहर में स्थित औद्योगिक इकाईयों से दिनों दिन प्रदूषण बढ़ता जा रहा है जिससे लोगों को सांस लेने में भी तकलीफ आ रही है. इसकी मुक्ति के लिए स्वयंसेवी संगठनों और समाजसेवी लोगों ने हाथ बढ़ाना शुरू किया है. साथ ही भीलवाड़ा शहर में स्थित हरणी की पहाड़ियां जो बंजर और पथरीली थी वहां पर हजारों पौधे लगाकर इस प्रदूषण को कमी लाने का प्रयास किया.

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भीलवाड़ा वासियों के लिए हरनी महादेव की पहाड़ी बनी 'प्राणवायु'

भीलवाड़ा. वस्त्रनगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा की औद्योगिक इकाइयों से फैले प्रदूषण को कम करने के लिए स्वयंसेवी संगठनों ने भी हाथ बढ़ाना शुरू कर दिया है. शहर के पास एक बंजर पहाड़ी में हजारों पौधे लगाकर शहर वासियों को प्रदूषण से मुक्ति के लिए अच्छी प्राणवायु उपलब्ध करवाई जा रही है.

भीलवाड़ा वासियों के लिए हरनी महादेव की पहाड़ी बनी 'प्राणवायु'
ईटीवी भारत की टीम इस पहाड़ी क्षेत्र में पहुंची जहां काफी संख्या में औषधीय, वनस्पतिक, फलदार, छायादार और धार्मिक महत्व वाले पौधे लगे हुए हैं. पहाड़ी पर ड्यूटी पर तैनात सहायक वनपाल राजेंद्र त्रिवेदी ने बताया कि इस पहाड़ी क्षेत्र में अर्जुन की छाल का पौधा लगा हुआ है जिसका मार्केट में चूर्ण मिलता है. हार्ट के जो पेशेंट होते हैं उनके लिए अर्जुन की छाल लाभकारी होती है. उन्होंने कहा कि इस पहाड़ी क्षेत्र में अर्जुन के 150 पौधे लगे हुए हैं. इसके अलावा यहां पर गूगल के पौधे भी लगे हुए हैं जो देवताओं के शुभ कार्य में दीपक और अगरबती जलाने के काम आते हैं. राजेंद्र त्रिवेदी कहते हैं कि हरणी महादेव की पहाड़ी जो 29 हेक्टेयर में फैली है यहां पर हजारों नीम, पीपल ,रुद्राक्ष, औषधीय ,फलदार व छायादार पौधे लगे हैं. इन पौधों से प्राणवायु मिलती है. यह भीलवाड़ा के लिए ऑक्सीजन का भंडार है. वस्त्र नगरी में उद्योगों से जो कार्बन डाइऑक्साइड गैस निकलती है उस गैस को यह पौधे ग्रहण करते हैं और हमें ऑक्सीजन देते हैं. सभी जगह इसी तरह के पौधे लगाने चाहिए. लगभग 20 हजार पौधे तो हमने लगाए बाकी नेचुरल पौधे लगे हुए हैं.
हरणी की पहाड़ी का एक दृश्य

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हरियाली के बीच जंगली जानवर का बसेरा-

वहीं पहाड़ी पर घूमने आए पवन ने कहा कि यह हरनी महादेव की पहाड़ी में बहुत अच्छी हरियाली है. मधुर वातावरण है. यहां ऑक्सीजन का भंडार है. यहां आने पर शरीर में मन, बुद्धि में ताजगी आती है. हरणी महादेव की पहाड़ी पर योग कर रहे वृद्धजन बालूराम जाजू ने कहा कि यहां घूमने आते हैं यह भीलवाड़ा का फेफड़ा है. यहां चारों तरफ हरियाली है. जंगली जानवर भी इनमें बहुत रहते हैं. यहां आने पर हमारा जीवन सफल होता है.

सुबह-सुबह योगासन करते हुए लोग

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यहां आने से मिलती है शक्ति-

पवन कहते हैं कि मैं यहां योग, प्राणायाम, अलोम-विलोम करता हूं इससे मुझे शक्ति मिलती है. मैं शहर के वातावरण में दुखी हो जाता हूं लेकिन यहां आने पर व्यायाम करने पर मुझे यूं लगता है कि मैं जवान हो गया हूं. मैं लोगों को यह संदेश देना चाहता हूं कि ऐसी प्राकृतिक स्थानों को ओर डवलप करो तो कोई व्याधी नहीं आयेगी. पौधे लगाने से फल, वायु और वर्षा होती है.

स्मृति वन, हरिणी, भीलवाड़ा

150 बीघा जमीन में 28 हजार पौधे लगाए गए-

इस पहाड़ी को डवलप करने वाले पर्यावरणविद और पीपुल फॉर एनिमल के प्रदेश प्रभारी बाबूलाल जाजू ने कहा कि भीलवाड़ा औद्योगिक नगरी है जिससे प्रदूषण से बचने के लिए ग्राम्य वन सुरक्षा प्रबंधन समिति हरणी की ओर से हरणी की पहाड़ी को वन विभाग से गोद लेकर यहां 150 बीघा जमीन में 28 हजार पौधे लगाए हैं. यहां लोग अपनों की समृद्धि, खुशी के वातावरण के मौके पर पौधे लगाने आते हैं. यहां पर 4 एनीकट व चेक डेम बने हुऐ हैं. यहां 28 प्रजाति के औषधीय, फलदार व छायादार पौधे लगे हुए हैंं यह भीलवाड़ा के लिए बड़ी सौगात है. इस पहाड़ी पर आने वाले लोगों को यहां सुकून मिलता है. कल तक जो पहाड़ी बंजर पड़ी थी वहां अब हरियाली और पक्षी कलरव करते है.

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