भीलवाड़ा का एक स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में नजीर पेश कर रहा है... भीलवाड़ा. राजस्थान के भीलवाड़ा शहर में स्थित एक सरकारी विद्यालय निजी विद्यालय से शिक्षा के क्षेत्र में काफी आगे है. इसीलिए निजी विद्यालय से छात्र इस सरकारी विद्यालय में अध्ययन कर रहे हैं. यह विद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में देश भर में नजीर पेश कर रहा है, जहां विद्यालय प्रबंधन एवं विकास समिति द्वारा खर्चा बहन कर बालकों को अंग्रेजी की शिक्षा दी जा रही है. वहीं, बिजली की बचत के लिए लोगों के सहयोग से सोलर प्लांट लगाया गया है.
इस विद्यालय में निजी शिक्षण संस्थान छोड़कर बच्चे अध्ययन करने आ रहे हैं. वहीं, विद्यालय में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए विद्यालय विकास एवं प्रबंधन समिति की ओर से पैसा खर्च कर अंग्रेजी माध्यम की भी शुरुआत की है. साथ ही विद्यालय में विद्युत खर्च बचाने के लिए सोलर सिस्टम लगाया गया है, जिसके तहत पूरे विद्यालय में सोलर सिस्टम से विद्युत सप्लाई होती है और बची हुई ऊर्जा सरकार को दी जाती है.
अक्सर, हर माता-पिता अपने लड़के-लड़कियों को अच्छी शिक्षा दिलवाने के लिए सरकारी विद्यालय के बजाय निजी विद्यालय में प्रवेश दिलवातें हैं, लेकिन भीलवाड़ा शहर के राजेंद्र मार्ग पर स्थित राजकीय सीनियर उच्च माध्यमिक विद्यालय निजी विद्यालय से शिक्षा के क्षेत्र में कई कदम आगे हैं. जहां महीने के लाखों रुपये खर्च कर बच्चों को अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा देने की व्यवस्था की गई है. इन बालकों को अंग्रेजी शिक्षा के लिए 42 शिक्षक नियुक्त किए हैं, जिनको प्रति माह 4.5 लाख रुपये का भुगतान किया जाता है. विद्यालय में बालकों को स्वच्छता, शैक्षणिक व अभिवृत्ति जागृत करने में भी काफी नवाचार किए हैं.
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स्कूल के प्रिंसिपल डाॉ. श्याम लाल खटीक ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि हमारे विद्यालय मे एसडीएमसी के प्रस्ताव के अनुसार हमने बिजली के उत्पादन का निर्णय लिया. जिसके तहत भामाशाह और एसडीएमसी के सहयोग से विद्यालय परिसर में 18 किलो वाट का सोलर प्लांट स्थापित किया गया. विद्यालय मे पहले महीने का 50 से 55 हजार रुपये का बिजली का बिल आता था, वह कम होकर मात्र एक से दो हजार रुपये के बीच आ रहा है. वहीं, ज्यादा उत्पादन की गई बिजली वापस सरकार को सप्लाई की जाती है. विद्यालय परिसर में सोलर प्लांट लगने से विद्यालय में 5 से 6 लाख रुपये की बिजली की बचत की है.
यह विद्यालय कक्षा 1 से 12 तक संचालित होता है, जहां कक्षा 1 से 8 तक के बच्चे सिंधु नगर विद्यालय परिसर में अध्ययन करते हैं वहीं विद्यालय में अपने स्तर पर एसडीएमसी के माध्यम से कक्षा एक से पांच व कक्षा 9 से 12 तक अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा की शुरुआत की है. इस विद्यालय में 1200 बच्चे अंग्रेजी माध्यम में अध्ययन कर रहे हैं. इनका सारा खर्चा एसडीएमसी (विद्यालय विकास एवं प्रबंधन समिति) वहन करती है. यहां शिक्षण कार्य पर विशेष फोकस है. हम बालकों में शैक्षणिक व भौतिक विकास में हमेशा अनुकरणीय कार्य कर रहे हैं. विद्यालय आगे इसलिए बढ़ रहा है कि हम टीम भावना से काम कर रहे हैं. विद्यालय परिसर में सुरक्षा के लिए 32 सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं, इससे हम मॉनिटरिंग करते हैं.
वहीं, स्मार्ट क्लास रूम के साथ ही प्रार्थना सभा में बालकों को नैतिक शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाता है. हमेशा यहां परीक्षा परिणाम भी अच्छा रहा है. अच्छी शिक्षा देने के कारण कही बालक निजी विद्यालय छोड़कर प्रतिवर्ष यहां सरकारी विद्यालय में एडमिशन लेते हैं. सरकारी विद्यालय में अच्छी शिक्षा मिलने से निजी विद्यालय में नामांकन कम हो गया है. यहां तक कि भीलवाड़ा जिला ही नहीं अन्य राज्यों के बच्चे भी यहां अध्ययन करने आते हैं, क्योंकि यहां इंडस्ट्रियल एरिया है, जिसमें दूसरे राज्य के मजदूर यहां काम करते हैं. उनके बच्चे यहां अध्ययन करने के लिए आते हैं.
वहीं, जिले के बच्चे यहां रूम किराए पर लेकर अध्ययन करते हैं. विद्यालय परिसर में भौतिक विज्ञान की प्रयोगशाला प्रदेश में से सबसे अनूठी है. यहां सबसे ज्यादा उपकरण हैं, जहा भौतिक विज्ञान में अध्ययनरत छात्रों के परीक्षा लेने बाहर से जो परीक्षक आते हैं वह इस लैब की बहुत प्रशंसा करते हैं. वह परीक्षक कहते हैं कि यह राज्य स्तरीय लैब है.
दूसरे निजी विद्यालय में पढ़ाई करने के बाद सरकारी विद्यालय में अध्ययनरत छात्र नमन सोनी ने कहा कि मैं पहले प्राइवेट स्कूल में शिक्षा प्राप्त कर रहा था. अब मैं वर्तमान में राजेंद्र मार्ग स्कूल में पढ़ रहा हूं. यहां अच्छी व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलती है. यह बहुत ही अनुशासित विद्यालय है. यहां अंग्रेजी माध्यम में भी शिक्षा दी जा रही है. यहां बहुत कम फीस में अच्छी शिक्षा मिलती है. विद्यालय में नवाचार और शैक्षिक अभिवृत्ति जागृत करने के लिए यहां खेलकूद, साइंस फेयर और विभिन्न प्रतियोगिता का आयोजन होता है, जिससे पढ़ने के साथ खेल की भावना भी बढ़ती है. जो दूसरे बच्चे निजी विद्यालय में अध्ययन कर रहे हैं, उनको भी मैं सलाह देता हूं कि मेरी तरह आप सरकारी विद्यालय में जरूर आएं.