भीलवाड़ा.पिछले एक सप्ताह से जिले में लगातार बढ़ रही ठंड के कारण जिले में किसानों को अपनी फसल को लेकर चिंता सता रही है. उन्होने रबी की फसल बोई है, उसमें शीतलहर की वजह से पाला पड़ने की संभावना बढ़ती जा रही है. इससे भीलवाड़ा जिले के किसान काफी चिंतित हैं. वहीं भीलवाड़ा कृषि विभाग के उपनिदेशक रामपाल खटीक ने ईटीवी भारत पर भीलवाड़ा जिले के किसानों को फसल के बचाव के लिए उपाए बताए. उन्होनें बताया, कि शीतलहर से पड़ने वाले पाला से फसल को बचाने के लिए पर्याप्त मात्रा में मेड़ पर अलाव जलाएं और फसल पर गंदक और तेजाब का छिड़काव करें.
भीलवाड़ा: रबी की फसल बचाना है तो ये तरीके अपनाएं... - भीलवाड़ा में ठंड से परेशानी
लगातार बढ़ रही ठंड के कारण भीलवाड़ा जिले में किसानों की टेंशन बढ़ गई है. भीलवाड़ा कृषि विभाग के उपनिदेशक रामपाल खटीक ने किसानों को फसल के बचाव के लिए कुछ उपाए बताए हैं, जिससे उनकी फसल 10 दिन तक शीतलहर से बचायी जा सकती है.
दिसंबर के अंतिम सप्ताह से जनवरी की शुरूआत के साथ ही जिले में दिनों दिन ठंड बढ़ती ही जा रही है. जनवरी की शुरुआत कोहरे के साथ होने के कारण भीलवाड़ा जिले का तापमान जनवरी में 1 डिग्री सेंटीग्रेड पर पहुंच गया. ठंड ज्यादा होने और हवा चलने की वजह से भीलवाड़ा जिले में बोई गई रबी की फसल पर इनका प्रकोप देखने को मिल रहा है. शीतलहर की वजह से गेहूं, जौ, हरी सब्जियां, चना, सरसों की फसलें शीतलहर की चपेट में आने की संभावना से घिरी हुई हैं. जिससे बचाव के लिए किसान प्रयास कर रहे हैं. भीलवाड़ा जिले में 1,45000 हेक्टेयर भूमि में रबी की फसल की बुवाई हो चुकी है. वहीं जिले की तमाम फसल की नहरों के जरिए सिंचाई की जा रही है.
भीलवाड़ा जिले में शीतलहर के प्रकोप को देखते हुए भीलवाड़ा के कृषि उपनिदेशक रामपाल खटीक ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा, कि जिले में लगातार बढ़ रही सर्दी के कारण फसलें शीतलहर की चपेट में आ सकती हैं. उन्होनें ईटीवी भारत के जरिए किसानों को सलाह दी है, कि वो अपनी रबी की फसल के रूप में गेहूं, चना, सरसों, तारामीरा फसलों की समय पर पर्याप्त मात्रा में सिंचाई करें. खेत की मेड़ बंदी पर अलाव जलाते हुए शीतलहर की चपेट में आने वाली फसलों पर एक एम.एल प्रति लीटर पानी में तेजाब डाल कर छिड़काव करें. इससे 10 दिन तक रबी की फसल को पाले से बचाया जा सकता है.