भीलवाड़ा. विश्वव्यापी कोरोना से अभी भी व्यवसायी उभर नहीं पा रहे हैं. उद्योग जगत के साथ ही प्रिंटिंग प्रेस पर काम करने वाले कामगारों को भी इसका दंश अभी भी झेलना पड़ रहा है. राज्य सरकार की ओर से सामाजिक कार्यक्रम में 50 व्यक्तियों की उपस्थिति के आदेश के बाद सामाजिक आयोजन होता है, इसमें किसी प्रकार के कार्ड, कंकू पत्री नहीं छपवाए जाते हैं. प्रिंटिंग प्रेस में काम करने वाले लोगों पर इसका सीधा असर पड़ रहा है.
प्रिंटिंग व्यवसाइयों पर संकट बरकरार प्रिंटिंग प्रेस संचालक गोपाल लाल शर्मा कहते हैं कि जब से कोरोना शुरु हुआ तब से प्रिंटिंग प्रेस वालों की हालत खराब हो रखी है. शादी-विवाह पर सरकार ने 50 आदमियों की उपस्थिति से ज्यादा पर रोक लगा रखी है. सरकार के इस आदेश का असर प्रिंटिंग प्रेस पर भी दिख रहा है घर में किसी भी तरह के होने वाले कार्यक्रमों के लिए डिजिटल तरीके से निमंत्रण भेजते हैं.
लोग व्हाट्सएप पर मैसेज के सहारे भी एक-दूसरे को निमंत्रण भेज रहे हैं. गोपाल कहते हैं कि लॉकडाउन खुला तो उन्हें लगा की एक बार फिर से व्यवसाय पटरी पर लौटेगा काम धंधा शुरू होगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ. दिनभर में दो चार लोग ही प्रिंटिंग के लिए आते हैं. कभी कभी तो ऐसा होता है कि कोई भी नहीं आता. प्रिंटिंग की दुकान दिनभर खोलकर इस इंतजार में बैठे रहते हैं कि कोई तो ग्राहक आएगा लेकिन हम लोगों को मायूसी ही हाथ लगती है.
...जब भीलवाड़ा बन गया था कोरोना का हॉट स्पॉट-
देश में सबसे पहले कोरोना हॉटस्पॉट बने भीलवाड़ा जिले में 19 मार्च को कोरोना का पहला मरीज मिला था. उसके बाद यहां राजस्थान सरकार ने लॉकडाउन लगा दिया और फिर उसके बाद केंद्र सरकार ने. गोपाल लाल कहते हैं कि हमारी दुकान में चार लोग काम करते थे इससे उनके घर का चूल्हा जलता था. लेकिन काम और ग्राहक नहीं होने की वजह से मजबूरन तीन लोगों को छुट्टी पर भेजना पड़ा.
कार्यक्रमों में 500 लोगों के शामिल होने की मंजूरी हो
फिलहाल, एक आदमी काम करता है वो भी हफ्ते भर का काम एक दिन में भी निपटा कर चला जाता है. शर्मा कहते हैं कि मैं पिछले 20 वर्ष से प्रिंटिंग प्रेस के काम पर ही आश्रित हूं परिवार का गुजारा भी इसी से चलाता है. शर्मा कहते हैं कि सरकार को कार्यक्रमों में करीब 500 लोगों के शामिल होने की इजाजत देनी चाहिए इससे उनके जैसे व्यवसायों को भी काम मिल सकेगा.
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प्रिंटिंग प्रेस पर काम करने वाले रवि कुमार कहते हैं कि "मैं पढ़ा लिखा नहीं हूं मेरा घर खर्च यहां काम करके चलता है. प्रिंटिंग प्रेस बंद है मैं उधार लेखर घर खर्च चला रहा हूं. 15 दिन में एक बार यहां आता हूं जो पैसे मिलता उससे थोड़ी-बहुत मदद हो जाती है. यहां हमारे साथ चार साथी ओर थे उनमें से तीन की छुट्टी कर दी गई है"
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नानूराम भीलवाड़ा में सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर काम करते हैं नानू कहते हैं कि आज कल शादी विवाह समारोह में निमंत्रण मिलना बंद हो गया है. इसे प्रिंटिंग प्रेस पर भी काफी प्रभाव पड़ा है. पहले शादी, विवाह, मुंडन के समय निमंत्रण आते थे लेकिन अब कोरोना की वजह से सामाजिक आयोजनों में लोगों को कम बुलाया जाता है. वहीं जिन लोगों को निमंत्रण भेजा भी जाता है उन्हें सोशल मीडिया लोग भेज देते हैं.
कोरोना का असल पूरे देश में और हर क्षेत्र में देखने को मिल रहा है. लॉकडाउन हटने के बाद कुछ व्यवसाय तो पटरी पर लौट चुके हैं लेकिन कुछ व्यवसायों पर अभी भी कोरोना का साया बना हुआ है. ऐसे में इन प्रिंटिंग प्रेस जैसे छोटे-छोटे व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए अभी भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं. इन लोगों की हर सुबह आजकल इस उम्मीद के साथ होती है कि कल से उनका आज बेहतर होगा.