भीलवाडा. राजस्थान में गंगानगर और अजमेर जिले की बिजयनगर मंडी कपास बिक्री के रूप में प्रसिद्ध है, लेकिन भीलवाड़ा जिले के गंगापुर क्षेत्र में भी कपास की बड़े पैमाने पर खेती होती है. यहां पर जिनिंग यूनिट भी स्थापित है. वर्तमान में जिले में कपास की उपज को लेकर भीलवाड़ा जिले के गंगापुर क्षेत्र के प्रसिद्ध कपास खरीदार और प्रोसेसिंग यूनिट के मालिक बद्रीलाल जाट ने ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत की. उनसे कपास की फसल के प्रति किसानों का रुझान कम हो गया सवाल पूछा गया, तो उन्होंने इस पर कहा कि पहले कपास की फसल के प्रति किसानों का रुझान भाव कम होने की वजह से कम हो गया था, लेकिन इस बार बीते साल कपास की फसल का भाव अच्छा होने से बुवाई के लिए किसानों (Farmers Will Get Relief From Increased MSP of Cotton) का रुझान भी बढ़ा है.
व्यवसायी से बाजार का रेट जानिए: बद्रीलाल जाट ने बातचीत में आगे बताया कि मेरा कपास का व्यवसाय है खुद का जिनिंग एवं प्रोसेसिंग है. आज के 30 साल पहले लोवर राजस्थान यानी भीलवाड़ा जिले में जो कपास होता है बीच में 10 साल के लिए उत्पादन कम हो गया था. पिछले 7-8 साल से यहां अच्छा उत्पादन हो रहा है. उन्होंने कहा कि पिछले साल कपास का भाव 5 हजार रुपए प्रति क्विंटल था और एमएसपी की रेट 6 हजार रुपए प्रति क्विंटल थी, लेकिन बीते साल बाजार भाव लास्ट में 11 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक पंहुच गया था. इस साल कपास का भाव 9 हजार से 10 हजार के बीच प्रति क्विंटल के भाव से रहा है.
कपास आधी रात को बेच सकते हैं: कपास व्यवसायी ने आगे कहा कि राजस्थान में लोवर राजस्थान मे भीलवाड़ा जिले का गंगापुर क्षेत्र आता है. अप्पर राजस्थान में पाली, गंगानगर और मारवाड़ का क्षेत्र आता है. अपर राजस्थान में कपास की बुवाई अच्छी है. लोवर राजस्थान में भी इस बार कपास की फसल की बुवाई उम्मीद के अनुरूप नहीं हुई है, क्योंकि भीलवाड़ा जिले में कपास की बुआई गर्मी में होती है. वहीं, पानी की कमी की वजह से किसानों ने गर्मी में फसल की बुवाई ना करके बारिश होने के बाद ही बुआई की थी. कपास एक ऐसी चीज है जिनको हम आधी रात को भी बेच सकते हैं. इसको कैश क्रॉप भी बोलते हैं अगर सीधे-सीधे शब्दों में इसको वाइट यानी सफेद सोने के नाम से जानते हैं.
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