भीलवाड़ा.सहाड़ा विधानसभा में उपचुनाव के लिए चुनाव आयोग ने मंगलवार को घोषणा कर दी है. यहां 17 अप्रैल को मतदान होगा और नामांकन भरने की प्रक्रिया 23 मार्च से शुरू हो जाएगी. पिछले साल 6 अक्टूबर को कांग्रेस विधायक कैलाश त्रिवेदी का कोरोना से निधन होने के कारण यह सीट रिक्त हो गए थी. ऐसे में सहाड़ा विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी और कांग्रेस दोनों प्रमुख दल के लिए यह सीट प्रतिष्ठा की सीट बनी हुई है.
सहाड़ा उप चुनाव में कांग्रेस को सीट बचाने की चुनौती बता दें कि, कांग्रेस इस सीट पर जीत हासिल कर सीट को बरकरार रखना चाहती है, तो वहीं बीजेपी इस सीट को जीतने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है. चुनाव की घोषणा नहीं होने से पहले कांग्रेस की ओर से कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा और पूर्व बीज निगम के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़, पूर्व मंत्री हरिमोहन शर्मा, यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल और सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने कई बार दौरे कर चुके हैं. वहीं बीजेपी की ओर से प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ और विधायक मदन दिलावर भी दौरा कर क्षेत्र के कार्यकर्ताओं से चर्चा कर चुके हैं.
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पिछले चुनावी आंकड़ों को देखें तो जिले की सहाड़ा विधानसभा सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती रही है. यहां पिछले 14 चुनाव में 9 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है. दिवंगत विधायक कैलाश त्रिवेदी यहां से तीन बार चुनाव जीते थे. उनसे पहले रामपाल उपाध्याय भी तीन बार और जवाहर मल दो बार जीत हासिल कर चुके हैं. अपनी सीट को बरकरार रखने के लिए कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक रखी है. राज्य सरकार ने पिछले कुछ दिनों यहां कई सौगात दी हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गत 27 फरवरी को पास ही स्थित मातृकुंडिया में किसान सम्मेलन के बाद एक तरह से चुनावी बिगुल बजा चुके हैं. पिछले चुनाव में बीजेपी पार्टी के बागी रहे लादूलाल पीतलिया के कारण 7000 मतों से सीट गंवाने वाली बीजेपी पिपलिया की घर वापसी के बाद इस बार उपचुनाव में कोई कसर नहीं रख रही है.
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कांग्रेस में त्रिवेदी की पत्नी, पुत्र और भाई समेत कई दावेदार हैं. जबकि बीजेपी में पूर्व मंत्री और विधायक समेत 11 लोगों ने उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ और मदन दिलावर के सामने दावेदारी पेश की है. वहीं आरएलपी की ओर से आरएलपी के राष्ट्रीय संयोजक हनुमान बेनीवाल ने भी क्षेत्र के कार्यकर्ताओं से संवाद कर नब्ज टटोली है.
सहाड़ा का राजनीतिक समीकरण
- सहाड़ा विधानसभा में विधानसभा चुनाव पहली बार 1952 में हुआ, जहां एचएमएस के शंभू सिंह विधायक चुने गये.
- साल 1962 में कांग्रेस के देवेंद्र कुमार, साल 1967 और 1972 में कांग्रेस के जवाहरमल विधायक बने. साल 1977 में जनता पार्टी से रामचंद्र चौधरी चुनाव जीते.
- साल 1980 और 1985 में कांग्रेस से रामपाल उपाध्याय विधायक बने, साल 1990 में कांग्रेस के रामपाल उपाध्याय को हराकर रतन लाल जाट जनता दल से विधायक बने.
- साल 1993 में रामपाल उपाध्याय ने रतनलाल जाट को हराया और तीसरी बार विधायक बन. साल 1998 में रतन लाल जाट बीजेपी के टिकट पर जीतकर विधायक बने.
- साल 2003 में कैलाश त्रिवेदी को कांग्रेस से टिकट मिला और वह विधायक चुने गए. साल 2008 में भी कैलाश त्रिवेदी दूसरी बार विधायक बने.
- साल 2013 में रतन लाल जाट के छोटे भाई डॉक्टर बालू राम चौधरी ने कैलाश त्रिवेदी को हराया. वहीं साल 2018 में बीजेपी की ओर से रूप लाल जाट को हराकर कैलाश त्रिवेदी तीसरी बार विधायक बने.