भीलवाड़ा.विश्वव्यापी कोरोना जैसी महामारी का प्रभाव हर तरह के उद्योग पर पड़ा है. वस्त्रनगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा जिले में कपड़े के संचालित छोटे-बड़े उद्योगों में भी इसका असर देखने को मिल रहा है. यहां सबसे ज्यादा प्रभाव छोटे उद्योग, एमएसएमई और एसएमई में देखने को मिल रहा है. कामकाज ठप होने के कारण बड़े उद्योग भी बंद हैं. इन उद्योगों को फिर से संचालित करने के लिए वस्त्र उद्योग से जुड़े संगठन लगातार सरकार से मांग कर रहे हैं.
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वस्त्र उद्योग से जुड़े संगठन का कहना है कि पिछले साल की तरह इस बार भी सरकार मोरिटोरियम दे तो इन उद्योग संचालकों को राहत मिल सकती है. एमएसएमई के उद्योगों का संचालन करने के लिए प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को आगे आना चाहिए. कोरोना की दूसरी लहर में सरकार आघात नहीं झेल सकती तो उद्योगपति कैसे इस लहर का आघात झेल पाएंगे.
छोटे-बड़े सभी व्यापारियों को हो रहा नुकसान विश्वव्यापी कोरोना महामारी का प्रभाव हर तरह के उद्योग धंधे पर पड़ा है. छोटे-छोटे उद्योग तो बिलकुल बंद हो गए हैं. बड़े उद्योगों का चलना भी मुश्किल हो रहा हैं. इस कारण इन उद्योगों में काम करने वाले मजदूर भी परेशान हैं. कुछ तो पहले पलायन कर चुके हैं. कुछ मजदूर अब घर बैठे हैं. वे उद्योग फिर से संचालित होने का इंतजार कर रहे हैं. कोरोना से कम बिक्री होने के कारण सबसे ज्यादा एमएसएमई और एसएमई के उद्योग पर असर पड़ा है.
कोरोना से वस्त्र उद्योगों पर गहराया संकट ईटीवी भारत की टीम भीलवाड़ा के उद्योगों का हाल जानने उद्योग जगत से जुड़े व्यवसायियों के पास पहुंची. भीलवाड़ा टेक्सटाइल ट्रेड फेडरेशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रेम स्वरूप गर्ग ने कहा कि भीलवाड़ा जिला देश में वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात है.
- यहां 650 उद्योगिक इकाइयां संचालित हैं.
- इन वस्त्र उद्योगों में बंगाल, बिहार, ओडिशा और उत्तरप्रदेश के मजदूर काम करते हैं.
कुछ मजदूर तो लॉकडाउन लगने के भय के कारण पहले ही पलायन कर चुके हैं. वर्तमान में सख्त लॉकडाउन लगा है. उद्योगों की स्थिति ठीक नहीं है. इसलिए ज्यादातर उद्योग बंद है.
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भीलवाड़ा शहर से भाजपा विधायक विट्ठल शंकर अवस्थी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि भीलवाड़ा जिला वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात है. यहां 650 औद्योगिक इकाइयां हैं. उसमें तकरीबन एक लाख मजदूर काम करते हैं. इन 650 औद्योगिक इकाइयों में से महज 15 फीसदी औद्योगिक इकाइयां ही संचालित हैं. कुछ बंद की स्थिति में हैं. मजदूरों की स्थिति बड़ी विकट है. इन मजदूरों को तत्काल सरकार से सहयोग की आवश्यकता है.
राजस्थान में कोरोना की वजह से लगा है लॉकडाउन भाजपा विधायक विट्ठल शंकर अवस्थी ने सरकार से निवेदन किया है कि मजदूरों को तत्काल राहत प्रदान करें. जिससे वे अपना परिवार चला सकें. एमएसएमई के 300 उद्योग भीलवाड़ा जिले में संचालित हैं. इनमें बिलकुल कामकाज ठप हो गया है.
बड़े उद्योग इन छोटे उद्योग से माल नहीं खरीद पा रहे हैं. जिससे वह भी बंद हो गए हैं. सारा धंधा अस्त-व्यस्त हो चुका है.
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मेवाड़ चेंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष अनिल मानसिहंगा ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर में उद्योगों पर भारी प्रभाव पड़ा है. एमएसएमई के तहत जितने भी भीलवाड़ा जिले में उद्योग संचालित हैं, उनकी बात हमने मेवाड़ चेंबर ऑफ कॉमर्स में प्रमुखता से उठाई. सरकार से मांग भी की है कि जब तक पिछले साल की तुलना में इन एमएसएमई और एसएमई के उद्योगों को मोरेटोरियम नहीं दिया जाएगा तो एमएसएमई के बहुत से अकाउंट नॉन परफॉर्मेंस में हो जाएंगे. पिछले साल कोरोना के समय जब नेशनल लॉकडाउन था, उस समय बाजार 100 फीसदी बंद था. आज 90 फीसदी बाजार बंद है.
बड़े उद्योग बंद होने से छोटे व्यापारियों को नहीं मिल रहा कच्चा माल गवर्नमेंट ने 6 माह के मोरिटोरियम की सुविधा पिछले साल दी थी. पिछले साल 20 फीसदी एक्स्ट्रा पैसा दिया था. देश में बड़ी कंपनियां तो इस समय सर्वाइव कर लेंगी, लेकिन एमएसएमई और एसएमई उद्योगों के अंदर बहुत समस्या है. इस समय वित्तीय लाभ नहीं दिया गया तो बहुत बड़ा नुकसान बैंक और सरकार को होगा.
भीलवाड़ा जिले में इन उद्योगों में 60 हजार मजदूर काम करते हैं. कुछ तो पलायन कर चुके हैं. उद्योगों पर डिमांड, फाइनेंस प्रॉब्लम, लेबर और सरकार की सुविधा नहीं होने से उद्योगों में संकट दिनोंदिन गहराता जा रहा है. छोटे व्यापारियों की सरकार से बस यही मांग है कि सरकार इनके बारे में भी कुछ सोचे और इनके व्यापार को भी राहत पहुंचाए.