भीलवाड़ा.विश्वव्यापी कोरोना महामारी के दौर में लोगों को एलोपैथिक के साथ ही आयुर्वेद पर भी भरोसा बढ़ा है. जिसको देखते हुए भीलवाड़ा जिले में वन विभाग की ओर से वर्षा ऋतु में 21 लाख औषधीय पौधे ढाई लाख परिवारों में वितरित किए जाएंगे. जहां प्रत्येक परिवार में चार-चार किस्म के औषधीय पौधे (medicinal plants) वितरण किए जाएंगे. जिला उप वन संरक्षक ने कहा कि इन आयुर्वेदिक पौधों से निकलने वाली औषधि के सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जा सकती है.
प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश में अधिक से अधिक औषधीय पौधे लगाने का आह्वान किया है. यहां भीलवाड़ा जिले में भी ढाई लाख परिवारों को वर्षा ऋतु में औषधीय पौधे वितरण किये जाएंगे. प्रत्येक परिवार में तुलसी, अश्वगंधा, कालमेंक और गिलोय के पौधे वितरण किए जाएंगे. इन पौधों से निकलने वाली औषधि के सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जा सकती है.
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उप वन संरक्षक और आईएफएस अधिकारी देवेंद्र प्रताप जागावत ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. जिसमें उन्होंने कहा कि कोरोना काल ने दो चीजें हमें समझा दी है. पहली बात ऑक्सीजन की उपलब्धता और दूसरी रोगों के प्रति रोग-प्रतिरोधक (immunity) क्षमता किस तरह बढ़ा सकते हैं. यह दोनों महत्वपूर्ण है. हमारे सौभाग्य की बात है कि दोनों के लिए राज्य सरकार गंभीर है. इसके लिए हम जो कार्य करने जा रहे हैं, वह दोनों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण साबित होगा. औषधीय पौधे की आयुर्वेद में अपने आप में एक जीवनशैली है. आयुर्वेद के जो प्रोडक्ट हैं, उनका यूज करने में से रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जा सकती है. राज्य सरकार ने इस वर्षा ऋतु में प्रदेश में अधिक से अधिक औषधीय पौधे लगाने के लिए आह्वान किया है.