भीलवाड़ा.होली पर पर्यावरण बचाने के लिए भीलवाड़ा शहर के पास स्थित माधव गौ विज्ञान एवं अनुसंधान केंद्र की अनूठी पहल की जा रही है. जहां गाय के गोबर से बने कंडे शहर में होलिका जलाने के लिए सप्लाई किए जाएंगे. जिससे पर्यावरण बचाया जा सकें.
होली पर पर्यावरण बचाने के लिए माधव गौशाला की अनूठी पहल पिछले 4 सालों से जारी पर्यावरण बचाने की पहल
पिछले 4 सालों से भीलवाड़ा की माधव गौशाला की पर्यावरण बचाने की अनूठी पहल जारी है. जहां भीलवाड़ा शहर के पास ही स्थित इस अनुसंधान केंद्र में सैकड़ों गाये हैं. इन गायों के गोबर से भीलवाड़ा शहर में होलिका दहन के लिए कंडे निर्माण किए जा रहे हैं.
माधव गौ विज्ञान एवं अनुसंधान केंद्र पढ़ें:स्पेशल: शुरू हो गया शेखावाटी का चंग धमाल, होली के 2 दिन पहले तक मचेगी धूम
होलिका दहन के लिए 2 लाख कंडों का निर्माण
माधव गौशाला पहुंची ईटीवी भारत की टीम ने वहं देखा तो गाय के गोबर से कंडों को बनाया जा रहा था. जानकारी के मुताबिक इस बार होलिका दहन के लिए 2 लाख कंडों का निर्माण हो चुका है. वहीं गौशाला कर्मचारियों ने बताया कि गाय की महत्ता के साथ ही पर्यावरण बचाने के लिए ये सिलसिला पिछले 4 सालों से निरंतर जारी है.
शहर में होलिका जलाने के लिए होंगे सप्लाई प्रत्येक कंडा दो रुपए में उपलब्ध
बता दें कि माधव गौशाला की ओर से शहर के अंदर जहां भी होलिका दहन होता है, वहां गाय के गोबर से होलिका दहन करने के लिए जागरूक किया जाता है. जिससे होलिका दहन के बाद जो राख बचती है, वह कृषि कार्य में भी उपयोग ली जा सकती है. वहीं गौशाला प्रशासन का इसके पीछे सनातन संस्कृति के साथ-साथ पर्यावरण बचाना प्रमुख उद्देश्य है. यहां प्रत्येक कंडा दो रुपए में जहां होलिका दहन होता है, वहां उपलब्ध करवाया जाएगा.
पढ़ें:राजसमंद में बन रही विश्व की सबसे ऊंची 351 फीट की शिव प्रतिमा, 90 फीसदी काम पूरा
होलिका दहन के साथ-साथ पर्यावरण बचाने का भी संदेश
इन गोबर के कंडों से होनी वाली होलिका दहन अनूठी के साथ-साथ पर्यावरण को बचाने का संदेश भी देने वाली होगी. जहां एक होलिका दहन में कम से कम एक पेड़ की लकड़ियां जला दी जाती है. ऐसे ही भीलवाड़ा की माधव गौशाला के इस नवाचार से हर साल होलिका दहन पर लाखों पेड़ कटने से बच सकेंगे. जिससे पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा और प्रदूषण भी नहीं फैलेगा.