भरतपुर. शहर में किसी के सपनों के घर बनाने से लेकर किसी का बोझ उठाने वाले मजदूर शहर के विकास में दिखते नहीं है. ये आंखों में दो जून की कमाई का सपना लेकर बड़े शहर आते हैं. जिससे इनका और परिवार का पेट पल सके लेकिन कोरोना का ऐसा ग्रहण लगा है कि अब मजदूरों को कई कई दिन तक रोजगार नहीं मिल पा रहा है. भरतपुर में हर दिन सैकड़ों मजदूर मायूस होकर बिना रोजगार के घर लौट जाते हैं. अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पर ईटीवी भारत पर देखिए मजदूरों के हालातों से जुड़ी खास खबर.
मजदूरों की मंडी
भरतपुर शहर के लक्ष्मण मंदिर पर हर दिन मजदूरों की मंडी लगती है. यहां शहर से और आसपास के गांव से मजदूर सुबह के वक्त इकट्ठा होते हैं और लोग यहां आकर अपनी जरूरत के अनुसार काम कराने के लिए मजदूरों को लेकर जाते हैं. मंडी में जैसे ही कोई व्यक्ति बाइक से आकर रुकता है मजदूरों का झुंड काम की उम्मीद में उसे घेर लेता है. कंजौली गांव से काम की तलाश में आये जितेंद्र ने बताया कि कोरोना के चलते बीते करीब एक -डेढ़ महीने से यहां आने वाले मजदूरों को हर दिन रोजगार नहीं मिल पा रहा. मजबूरन हर दिन करीब 700 मजदूरों में से आधे से अधिक मजदूर बिना रोजगार के ही वापस घर लौट जाते हैं.
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एक वक्त खाकर पाल रहे परिवार