भरतपुर. संभाग मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर दूर स्थित कई गांवों के हजारों लोगों को आज भी चंबल (Chambal River) के मीठे पानी का इंतजार है. गांव की महिलाएं प्यास बुझाने के लिए कई किलोमीटर दूर से सिर पर मटकी रख कर लाती थीं. ऐसे में एक सामाजिक संस्था की मदद से हजारों ग्रामीणों के लिए वाटर व्हील मददगार बना. अब ना केवल भरतपुर बल्कि धौलपुर जिले के 34 गांव के महिला, पुरुष और बच्चे खेल-खेल में कई किलोमीटर दूर से वाटर व्हील (Water Wheel) में 50-50 लीटर पानी भरकर आसानी से अपने घरों तक ले जाते हैं. ईटीवी भारत ने ग्रामीणों की समस्या और संस्था की पहल को नजदीक से देखा.
इसलिए ली वाटर व्हील की मदद
राजपूताना सोसाइटी ऑफ नेचुरल हिस्ट्री (आरएसएनएच) (Rajputana Society of Natural History) के संस्थापक सदस्य डॉक्टर सत्य प्रकाश मेहरा ने बताया कि भरतपुर संभाग से महज 5 से 10 किलोमीटर दूरी पर स्थित करें आधा दर्जन से अधिक गांव में पीने के पानी की समस्या (Water Scarcity Rajasthan) थी. चंबल का पानी भी पहुंचा लेकिन वो व्यवस्था भी गांव से करीब डेढ़ से 2 किलोमीटर दूर थी. ऐसे में ग्रामीण महिलाओं को अपने काम-धंधे छोड़कर पीने का पानी भरने के लिए दिन में कई कई बार पैदल ही लंबी दूरी तय करनी पड़ती. ऐसे में साल 2017 में हैबिटेट फॉर ह्यूमैनिटी संस्था ने मदद का हाथ बढ़ाया और ग्रामीणों के लिए वाटर व्हील सुविधा की जानकारी दी.
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34 गांवों में 3 हजार परिवारों को दिए