राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

21 साल से नहीं बुझी घना की प्यास, सूखे जलाशयों ने बढ़ाया संकट, कहीं घरौंदा छोड़ पलायन न कर जाएं पक्षी

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के अस्तित्व पर लंबे समय से संकट के बदल मंडरा रहा है. पिछले 21 वर्षों से घना को पर्याप्त पानी नहीं मिल पाया है. इस बार भी पानी की पूर्ति नहीं हुई तो कई पक्षी यहां से पलायन कर जाएंगे. पढ़िए कैसे विश्व विरासत का दर्जा पाने वाला घना आज पानी को तरस रहा है...

Keoladeo National Park
Keoladeo National Park

By

Published : Jul 7, 2023, 10:13 PM IST

Updated : Jul 7, 2023, 10:35 PM IST

विश्व विरासत घना से उजड़ जाएगी पक्षियों की बस्ती!

भरतपुर.विश्वपटल पर भरतपुर को पहचान दिलाने वाला विश्व विरासत केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान बीते 21 साल से प्यासा है. दो दशक से भी अधिक समय से घना को भरपूर पानी नहीं मिल सका है. इस बार भी जुलाई का पहला सप्ताह निकलने तक न तो अच्छी बरसात हुई है और न ही चंबल परियोजना से इसके हिस्से का पानी मिल सका है. हालात ये हैं कि यदि जल्द ही उद्यान को पानी नहीं मिला तो जिन पक्षियों ने यहां डेरा डाला है वो भी अपना घरौंदा छोड़कर पलायन कर जाएंगे.

..नहीं तो उड़ जाएंगे पक्षी :गर्मियों में उद्यान के जलाशयों को सुखाया जाता है. बरसात के मौसम में फिर से सभी जलाशय पानी से भर जाते हैं, लेकिन इस बार बरसात और चंबल का पानी नहीं मिलने की वजह से अभी तक जलाशय सूखे हुए हैं. घना प्रशासन प्रयास कर रहा है कि जल्द ही चंबल परियोजना से तीन से चार एमसीएफटी पानी मिल जाए. यदि एक सप्ताह में उद्यान को पानी नहीं मिला तो जिन पक्षियों (ओपन बिल स्टार्क, पेंटेड स्टार्क) ने यहां नेस्टिंग की है वो भी यहां से पलायन कर जाएंगे.

घना में पानी की समस्या

पढ़ें. No Flamingo in Ghana: खूबसूरत राजहंसों ने घना से मोड़ा मुंह, पक्षी प्रेमियों में निराशा

गोवर्धन के पानी की गुणवत्ता कम :पहले घना के लिए पांचना/गंभीरी नदी से अच्छी मात्रा में पानी मिलता था, लेकिन फिलहाल बरसात, चंबल और गोवर्धन ड्रेन के पानी पर निर्भर हैं. गोवर्धन ड्रेन के पानी की गुणवत्ता भी सही नहीं है, इसलिए शहर में इकट्ठा होने वाले बरसात के पानी का भी घना के लिए सही इस्तेमाल करने पर काम किया जा रहा है.

पर्याप्त पानी नहीं मिलने से पलायन कर जाएंगा पक्षी

चंबल परियोजना से उद्यान को हर सीजन में 62 एमसीएफटी पानी मिलना होता है, लेकिन अभी तक चंबल से मुश्किल से एक एमसीएफटी पानी ही मिल सका है. हम उद्यान के लिए पानी उपलब्ध कराने को लगातार चंबल परियोजना के अधिकारियों से संपर्क कर रहे हैं. उद्यान और पक्षियों के लिए पांचना बांध का पानी लाइफ लाइन है. यदि पांचना से सीजन में 200 एमसीएफटी पानी मिल जाए तो फिर से घना पक्षियों का स्वर्ग बन जाएगा, लेकिन दीवार ऊंची करने की वजह से पांचना से पानी तभी मिल पाता है जब अच्छी बरसात होती है. हालांकि हम लगातार करौली प्रशासन से संपर्क कर पांचना से पानी लेने का प्रयास कर रहे हैं.- मानस सिंह, डीएफओ

पढ़ें. Special : केवलादेव में उजड़ रहा वन्य जीवों का बसेरा! काटे गए सैकड़ों पेड़...टीटीजेड तक पहुंचा मामला

हेरिटेज साइट के दर्जे पर भी संकट : बता दें कि घना को हर वर्ष करीब 550 एमसीएफटी पानी की जरूरत होती है. गोवर्धन ड्रेन और चंबल से इसकी पूर्ति करने का प्रयास किया जाता है. वर्ष 2021 में करौली के पांचना बांध से 226 एमसीएफटी पानी मिल गया था. गत वर्ष लौटते हुए मानसून से उद्यान को अच्छी मात्रा में पानी मिल गया, लेकिन हकीकत यह है कि बीते करीब 21 वर्षों में कभी भी घना को जरूरत का पूरा पानी नहीं मिल सका. यही वजह है कि उद्यान के वर्ल्ड हेरिटेज साइट के दर्जे पर भी संकट मंडरा रहा है. नतीजन कम पानी की वजह से पक्षियों की कई प्रजातियों ने यहां से मुंह मोड़ लिया है.

Last Updated : Jul 7, 2023, 10:35 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details