जंगल में गुम हो रहे 'जंगल के राजा', तीन साल में 14 बाघ व 9 शावक लापता...
राजस्थान में जंगल सफारी का लुत्फ उठाने के लिए बॉलीवुड सितारों से लेकर खिलाड़ी और अन्य कई नामचीन हस्तियों का आना जाना लगा रहता है. यहां के टाइगर रिजर्व्स में बाघों की अधिक संख्या के कारण इसकी खास पहचान है. लेकिन चिंता की बात ये है कि यहां के जंगलों से बाघों के लापता (Tigers going missing from Rajasthan forest) होने का सिलसिला बढ़ता जा रहा है. प्रदेश के तीन टाइगर रिजर्व से तीन साल में 14 बाघ और 9 शावक गुम हो गए हैं जिससे कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर...
Tigers going missing from Rajasthan forest
By
Published : Nov 17, 2022, 4:25 PM IST
|
Updated : Nov 17, 2022, 7:44 PM IST
श्यामवीर सिंह, भरतपुर.बाघों की संख्या में लगातार हो रही बढ़ोतरी के चलते देश-दुनिया में राजस्थान की खास पहचान बन गई है. जंगल सफारी और बाघ को देखने के लिए बड़े-बड़े सेलिब्रिटीज यहां के टाइगर रिजर्व (Rajasthan tiger Reserves) आते रहते हैं. कई बार ऐसा भी होता है कि पर्यटक पूरे दिन दिन जंगल की खाक छानते हैं फिर भी बाघ नजर नहीं आता. यूं तो वन विभाग की ओर से बाघों का पूरा ख्याल रखा जाता है लेकिन इसके बाद भी प्रदेश के जंगलों (Tigers going missing from Rajasthan forest) में से कई बाघ लंबे समय से लापता हैं.
वन विभाग के अधिकारियों की मानें तो राजस्थान के 3 टाइगर रिजर्व से 3 साल में 14 बाघ लापता हो गए हैं. कई शावक भी गुमशुदा हैं. जिम्मेदार अधिकारियों की मानें तो बाघों के लापता होने के पीछे कई कारण हैं. आइए जानते हैं कि किस कारण से राजस्थान के जंगल से बाघ लापता हो रहे हैं.
कहां कितने बाघ लापता वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार तीन साल में सबसे ज्यादा बाघ रणथंभौर टाइगर रिजर्व में लापता हुए हैं. इनमें रणथंभौर कोर एरिया से 9 बाघ (टी 20, टी 23, टी 47, टी 64, टी 95, टी 73, टी 97, टी 100, टी 123), रणथंभौर बफर जोन से 2 बाघ (टी 42, टी 62) और रणथंभौर टाइगर रिजर्व से बाहर कैलादेवी क्षेत्र से 2 बाघ ( टी 72, टी 92) लापता हैं. वहीं मुकुंदरा हिल्स से बीते दो साल से बाघ एमटी 1 भी लापता चल रहा है. इसके अलावा रणथंभौर टाइगर रिजर्व से 7 शावक और मुकुंदरा से 2 शावक भी लापता हैं. इनके कोई साक्ष्य भी प्राप्त नहीं हुए हैं. वहीं सरिस्का से बीते दिनों बाघ एसटी 13 भी लापता है.
रणथंभौर टाइगर रिजर्व
2019
2 बाघ लापता
2020
7 बाघ लापता
2021
4 बाघ लापता
मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व
2020
1 बाघ लापता
पढ़ें. सरिस्का में बाघों की संदिग्ध मौतों से उठने लगे सवाल, पहले भी हो चुकी है टाइगर रिजर्व को बदनाम करने की साजिश
इसलिए गायब हो रहे बाघ रणथंभौर टाइगर रिजर्व के डीएफओ संग्राम सिंह ने बताया कि बाघों के लापता होने के पीछे कई कारण सामने आते हैं. उन्होंने बताया कि रणथंभौर टाइगर रिजर्व में क्षमता से अधिक बाघ हैं. ऐसे में जो बाघ रणथंभौर टाइगर रिजर्व में अपनी टेरिटरी नहीं बना पाता, वो इस क्षेत्र से पलायन कर बाहर के जंगल में निकल जाता है. ऐसे में उस बाघ को ट्रेस नहीं कर पाते और फिर वह लापता की श्रेणी में आ जाते हैं. जंगल के कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां तक कर्मचारी नहीं पहुंच पाते जिससे टाइगर को ट्रेस नहीं किया जा सकता. उनको भी लापता ही मान लिया जाता है.
कई बाघ ऐसे भी होते हैं जो अपनी औसत आयु जी चुके होते हैं और घने जंगल में उनकी प्राकृतिक मृत्यु हो चुकी होती है. उनका शव कुछ दिन में कीड़े व अन्य जंगली जानवर खा जाते हैं. ऐसे में न तो वे बाघ मिल पाते हैं और न उनकी मृत्यु के प्रमाण ही मिलते हैं. लापता हुए बाघों में से किसी के शिकार के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं.
शावक भी लापता डीएफओ संग्राम सिंह ने बताया कि असल में आम धारणा यह होती है कि जब एक बाघिन चार शावकों को जन्म देती है तो हम सोचते हैं कि वो सभी चारों शावक जिंदा रहेंगे लेकिन ऐसा सामान्यत: नहीं होता है. हकीकत में जन्म लेने वाले बाघों का अधिकतम सर्वाइवल रेशियो 50% होता है. यानी चार शावकों में से 2 की मृत्यु प्राकृतिक तौर पर हो जाती है. कई बार आपसी संघर्ष या अन्य कारण से जब बाघिन की मृत्यु हो जाती है तो उस स्थिति में भी शावकों के जिंदा रहने की संभावना शून्य हो जाती है.
कई बार बाघ जब मैटिंग करना चाहता है तो वो सबसे पहले बाघिन के शावकों को मार देता है. क्योंकि जब तक बाघिन के शावक जिंदा रहते हैं वो बाघ के साथ मैटिंग के लिए तैयार नहीं होती है. इन्हीं सभी कारणों के चलते शावकों की मृत्यु हो जाती है. कई शावकों की मृत्यु के साक्ष्य मिल जाते हैं जबकि कुछ के बारे में कोई जानकारी नहीं मिलने पर उन्हें लापता मान लिया जाता है. डीएफओ संग्राम सिंह ने बताया कि यह जरूरी नहीं है कि जो बाघ लापता है या जिसका पता नहीं चल पा रहा है उसकी मृत्यु हो चुकी हो. डीएफओ ने उदाहरण देते हुए बताया कि बाघ टी-38 वर्ष 2010 में रणथंभौर टाइगर रिजर्व से लापता हो गया था, लेकिन 10 साल बाद अक्टूबर 2020 से यह बाघ वापस लौटकर रणथंभौर में ही विचरण कर रहा है.
ये हैं सुरक्षा इंतजाम वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व में बाघों की सुरक्षा के लिए बॉर्डर होमगार्ड, होमगार्ड और वॉलेंटियर तैनात किया गए हैं. सभी टाइगर रिजर्व में 299 बॉर्डर होम गार्ड वन विभाग के कर्मचारियों के साथ गश्त करते हैं. सभी टाइगर रिजर्व में संवेदनशील स्थानों पर नई चौकियों का निर्माण किया गया है. ई-सर्विलेंस टावर और ड्रोन कैमरों की मदद से मॉनिटरिंग की जाती है.