भरतपुर.किसी भी बिमारी से जूझ रहे बच्चों के लिए डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय जोधपुर की ओर से निर्मित स्वर्ण प्राशन दवा रामबाण साबित हो रही है. विश्वविद्यालय अब तक हजारों बच्चों को स्वर्ण प्राशन की दवा पिला चुका है. भरतपुर में आयोजित आरोग्य मेले (Arogya Mela in Bharatpur) में भी तीन दिन में 800 से अधिक बच्चों को स्वर्ण प्राशन दवा पिलाई जा चुकी है, जिसके दो बूंद से कई जिंदगियां बदल चुकी हैं.
क्या है स्वर्ण प्राशन ? :आयुर्वेद विश्वविद्यालय के बाल रोग विभाग के सहायक प्रो. डॉ दिनेश कुमार राय ने बताया कि भारतीय संस्कृति में कई प्रकार के संस्कार होते हैं. इनमें से सुवर्णप्राशन (स्वर्ण प्राशन) भी एक संस्कार है. प्रोफेसर रमेश कुमार ने बताया कि आयुर्वेद विश्वविद्यालय के बाल रोग विभाग ने स्वर्ण, घी, शहद और अन्य औषधियों से एक स्वर्ण प्राशन दवा तैयार की है. यह दवा बच्चों की मेधा शक्ति, पाचन शक्ति और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवा है.
पुष्य नक्षत्र में सेवन कराने का महत्व :प्रोफेसर दिनेश कुमार राय ने बताया कि (Swarn Prashan by Sarvepalli Radhakrishnan Hospital) इस दवा का सेवन जन्म से 16 वर्ष तक के बच्चों के लिए कराया जा सकता है. यदि इस दवा का सेवन प्रतिमाह पुष्य नक्षत्र में कराया जाए, तो इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है. पुष्य नक्षत्र को स्वस्थ का नक्षत्र माना जाता है. इसका काश्यप संहिता में भी वर्णन किया गया है. प्रोफेसर दिनेश कुमार राय ने बताया कि ऐसे कई बच्चों को इस दवा से लाभ मिला है, जो कई बीमारियों से ग्रसित थे या फिर जिनका मानसिक और शारीरिक विकास सही नहीं हुआ था.
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