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भरतपुर: डीग में अवैध खनन को लेकर धरना होगा दोबारा शुरू - bharatpur news

भरतपुर के डीग में ब्रज के पर्वत कनकाचल और आदिबद्री को खनन मुक्त करने के लिए चल रहे धरने के 149 दिन सभी आंदोलनकारियों ने महत्वपूर्ण बैठक की. बैठक में राजस्थान सरकार पर ब्रज के पर्वतों को संरक्षित करने के अपने वादे को पूरा नहीं करने का आरोप लगाया गया है. इस दौरान उपस्थित अधिकांश धरनार्थियों ने एक बार फिर बड़े आंदोलन को शुरू करने की बात कही है.

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वैध खनन को लेकर धरना होगा दोबारा शुरू

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Published : Jun 14, 2021, 7:03 PM IST

डीग (भरतपुर).ब्रज के पर्वत कनकाचल और आदिबद्री को खनन मुक्त करने के लिए चल रहे धरने के 149वें दिन सभी आंदोलनकारियों ने महत्वपूर्ण बैठक की. बैठक में सरकार पर ब्रज के पर्वतों को संरक्षित करने के अपने वादे को पूरा नहीं करने का आरोप लगाया गया है. इस दौरान उपस्थित अधिकांश धरनार्थियों ने पुनः एक बड़े आंदोलन को प्रारंभ करने की बात की पैरवी की है.

इस संदर्भ में संरक्षण समिति के संरक्षक राधाकांत शास्त्री ने कहा कि एक लंबे संघर्ष के बाद हमें राजस्थान के मुख्यमंत्री से यह उम्मीद जगी थी, कि वह पिछले 10 वर्षों से ब्रज के पर्वत आदिबद्री और कनकाचल को खनन मुक्त करने की हमारी जायज मांग पर त्वरित कार्रवाई कर ब्रजवासियों, विश्वभर के कृष्णभक्तों, साधु संतों और पर्यावरण प्रेमियों की भावनाओं का सम्मान करेंगे. 6 अप्रैल को हुई बैठक में मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को पूर्ण आश्वस्त किया था कि वह अतिशीघ्र ही ब्रज के परम धार्मिक पर्वत आदिबद्री और कनकाचल को खनन मुक्त कर संरक्षित वन क्षेत्र घोषित करवाएंगे. लेकिन आज उस बात को 68 दिन बीत गए हैं. साथ ही कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की बात का सम्मान करते हुए अपने आंदोलन को उग्र नहीं किया.

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सरकार की ओर से हमारी मांग को पूर्ण करने की प्रतीक्षा करते रहे. साथ ही कोरोना महामारी से उत्पन्न हुई परिस्थिति को देखते हुए भी हमें सरकार की बाध्यता महसूस हुई. लेकिन अब जब कोरोना भी लगभग नियंत्रित हो गया है और विगत 149 दिनों से साधु संतों और स्थानीय ग्रामवासियों का धरना जारी है. उसको देखते हुए मुख्यमंत्री को अविलम्ब हमारी मांग पर कार्रवाई करनी चाहिए.

संरक्षक समिति के अध्यक्ष महंत शिवराम दास ने कहा कि सिर्फ मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद मार्च में होने वाले महापड़ाव को स्थगित किया गया था. यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज 68 दिन निकलने के बाद भी इस विषय में मुख्यमंत्री कार्यालय से नहीं कोई सूचना मिली है और नहीं कोई कार्रवाई की गई है. यह पर्वत हमारे प्राण हैं और इनकी रक्षा के लिए हम अपने प्राण तक को न्यौछावर कर सकते हैं. अगर शीघ्र ही इन पर्वतों की रक्षा नहीं की गई तो सभी साधु समाज, ग्रामवासी सरकार की उदासीनता के खिलाफ अनिश्चितकालीन आंदोलन करेंगे. साथ ही विशाल महापड़ाव का आयोजन किया जाएगा

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