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स्पेशल रिपोर्ट: सरकारी तंत्र के आगे लाचार 'सहजी' उम्मीदों का दीया जलाए घूम रही चौखट दर चौखट...पर साहब हैं कि पसीज ही नहीं रहे

भरतपुर के कामां क्षेत्र में रहने वाली एक बुजुर्ग महिला को 13 मार्च 2007 को विधवा पेंशन मिलनी शुरू हुई थी. लेकिन, करीब 3 साल पहले अचानक इनके खाते में पेंशन आना बंद हो गई. बताया जा रहा है कि भौतिक सत्यापन के दौरान इनका खाता नंबर ही बदल दिया गया. इसके बाद लगातार उन्हें सरकारी कार्यलयों के चक्कर लगाने पड़े हैं.

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Published : Feb 27, 2020, 3:54 PM IST

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भरतपुर में विधवा पेंशन के लिए परेशान बुजुर्ग महिला

(कामां) भरतपुर. जिले के कामां क्षेत्र के राधानगरी गांव में रहने वाली एक बुजुर्ग महिला पिछले तीन साल से विधवा पेंशन के लिए परेशान हैं. दरअसल, बीमारी के चलते इनके पति की मौत 23 फरवरी 2006 को हो गई थी. अपने पति की मौत के बाद इनके सामने सबसे बड़ी समस्या अपनी 5 बेटियों और एक बेटे के पालन-पोषण की थी. इस समस्या के आगे इन्होंने हार नहीं मानी और मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार के पालन पोषण में जुट गईं. 13 मार्च 2007 को इन्हें विधवा पेंशन मिलनी शुरू हुई. लेकिन, करीब 3 साल पहले अचानक इनके खाते में पेंशन आना बंद हो गई. इन्होंने सरकारी कार्यलयों के चक्कर लगाए तो बताया गया कि भौतिक सत्यापन के दौरान इनका खाता नंबर ही बदल दिया गया है.

भरतपुर में विधवा पेंशन के लिए परेशान बुजुर्ग महिला

बुजुर्ग महिला का नाम सहजी है. अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि उनके पास रहने के लिए ना तो पक्का मकान है और ना ही शौचालय है. उन्हें किसी भी तरह की सरकारी योजनाओं का कोई लाभ नहीं मिल पा है. जैसे-तैसे पेंशन शुरू हुई थी. लेकिन, कई साल से उसकी पेंशन दूसरे खाते में डाली जा रही है. इसके चलते उन्हें दर-दर की ठोकर खानी पड़ी.

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बताया जा रहा है कि कुछ साल पहले भौतिक सत्यापन के दौरान किसी ने ई-मित्र संचालक से सांठ-गांठ करके इसका खाता नंबर ही बदलवा दिया है. इससे पेंशन किसी दूसरे खाते में जा रही है. वहीं, ये बुजुर्ग महिला खाते में पेंशन नहीं आना की समस्या लेकर तीन साल से लगातार सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाती रहीं. लेकिन, कोई सुनवाई नहीं हुई. इनकी समस्या देख कोई भी सहज अंदाजा लगा सकता है कि राज्य सरकार की योजनाओं का धरातल पर हकीकत क्या है.

बता दें कि राजस्थान सरकार ने विधवा महिलाओं को अपना और अपने परिवार के जीवन-यापन के लिए विधवा पेंशन योजना लागू कर रखी है, जिससे वो अपने परिवार का पालन-पोषण कर सकें. लेकिन, कामां क्षेत्र में इसका अधिकारियों की लापरवाही के चलते धरातल पर कुछ अलग ही परिणाम देखने को मिलता है. विधवा महिलाओं को पेंशन के लिए दर-दर की ठोकर खाना पड़ता है और उन्हें पेंशन योजना का लाभ नहीं मिल पाता. इसका एक उदाहरण बुजुर्ग महिला सहजी भी है.

विधवा पेंशन योजना नहीं मिलने से लंबे वक्त से परेशान बुजुर्ग महिला सहजी ने अपनी फरियाद जब उपखंड अधिकारी बनवारी लाल शर्मा से लगाई तो उन्होंने तत्परता दिखाई. उपखंड अधिकारी के हस्तक्षेप के बाद ही पंचायत समिति के विकास अधिकारी हरकत में आए और मामले की जांच शुरू की गई. मामले की जांच के बाद पेंशन उनके खाते में दिए जाने के निर्देश दिए गए हैं.

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विकास अधिकारी मनीष ने बताया कि विधवा महिला के पेंशन का मामला अब उनके संज्ञान में आया है. इस बारे में जांच की गई तो पता चला कि भौतिक सत्यापन के दौरान खाता नंबर गलत होने के चलते दूसरे खाते में पेंशन की राशि पहुंच रही है. जांच में पाया गया कि ई-मित्र संचालक ने भौतिक सत्यापन के दौरान खाता नंबर गलत चढ़ा दिया गया था. राशि की रिकवरी करके राजकोट में जमा कराई जाएगी. साथ ही मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए उच्च अधिकारियों को जानकारी दी जाएगी.

इस बीच पेंशन के लिए परेशान सहजी को कर्ज लेकर अपनी तीन बेटियों की शादी करनी पड़ी. दो बेटियों और एक बेटे की होनी है. सहजी के मामले को देखकर अंदाज लगाया जा सकता है कि धरातल पर सराकरी योजनाओं का ठीक तरीके से क्रियान्वयन नहीं किया जा रहा है. कुछ लोग सरकार की योजनाओं को ब्लॉक करने में लगे रहते हैं. अब देखना ये है कि इस बुजुर्ग विधवा महिला को वापस अपनी पेंशन कब तक मिल पाता है और सरकार की योजनाओं का कितना लाभ मिल पाता है.

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