नदबई.आमतौर पर जहां लोग सांप को देखकर डरते हैं. वही भरतपुर जिले के सुरेश सहगल सांपों को पकड़ कर लोगों से दूर कर उनको सुरक्षित स्थान पर छोड़ते हैं. सुरेश सहगल को बचपन से ही सांप पकड़ने का शौक है. जो कि आज स्नेक मैन के नाम से शहर में मशहूर (Snake Man of Bharatpur) हैं. सुरेश सहगल ने हजारों सांपों की जिंदगी बचाई.
इन्हें सांपों से डर नहीं लगता (Bharatpur Rescuer Of Snake): सुरेश सहगल को बचपन से सांप पकड़ने का शौक है. ये शौक ही मकसद बन गया विषधारियों यानी सांपों की जिंदगी बचाने का. सुरेश भरतपुर जिले के नदबई कस्बे के रहने वाले हैं. 1995 से ही सांपों से दोस्ती गांठ रखी है. बड़ा हो या छोटा फनधारी सभी इनकी अंगुलियों के इशारे पर नाचते हैं. कोबरा, फ्लाइंग स्नेक, रैट स्नेक,करेत, धामन, रसैल वाईपर जैसे विषधारियों के नाम सुनते ही जहां आम जन सिहर जाते हैं. वहीं सुरेश का तेज दिमाग और निगाहों का पैनापन सेकंडों में अपने काबू में कर लेता है.
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सुरेश के अनमोल टिप्स:सहगल से मिलिए तो सांपों को लेकर भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास भी करते हैं और कुछ टिप्स भी देते हैं. बताते हैं कि अगर घर या कई अन्य जगह सांप दिखता है तो शांत रहे न कि उससे छेड़छाड़ करें. आपका शांत रवैया सांप के दंश से बचा सकता है. सांपों की जानकारी भी बहुत है. राजस्थान में पाए जाने वाले 36 प्रजातियों का जिक्र करते हैं और कहते हैं कि इनमें से महज 4 सर्प प्रजातियां ही जहरीली हैं.
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6000 को दे चुके हैं जीवन दान! :स्नेक मैन ऑफ भरतपुर(Snake Man of Bharatpur)ने अभी तक 6000 से अधिक सांपों को पकड़ कर सुरक्षित स्थानों पर छोड़ा है. कोरोना काल में भी बिना रुके अपना मकसद पूरा करते रहे. किसी घर या किसी भी जगह पर सांप - गोहरा और जहरीले जंतु की सूचना मिलने पर अथक जहरीले जंतु को पकड़ने निकलते रहे, उन्हें बचाते रहे और Rescuer का धर्म निभाते रहे. जहरीले सांपों से लगाव इतना कि इन पर गहन अध्ययन कर लोगों को जागरूक भी करते रहते हैं.
मकसद सिर्फ एक:स्नेक मैन सुरेश सहगल का सिर्फ एक मकसद है. सांपों की खोज में घूमना, उनकी पूरी जानकारी जुटाना, उसका अध्ययन करना, लोगों में सांपों के प्रति खौफ को कम करके प्रेम का भाव जगाना और उन्हें सुरक्षा प्रदान करना. अपनी इस कोशिश में कई बार स्नेक बाइट का शिकार भी हुए हैं लेकिन इलाज भी खुद ही कर लेते हैं. अपने इस जुनून को पूरा करने के लिए आम लोगों को निशुल्क सेवा देते हैं.