भरतपुर. ढाई साल के लंबे अंतराल के बाद सोमवार दोपहर को भरतपुर के ईष्ट देव श्री बांके बिहारी अपने मूल गर्भगृह में विराजमान हुए (Banke Bihari returned to the garbhagriha). मंदिर के नव निर्माण के चलते बीते ढाई साल से श्री बांके बिहारी मंदिर के अस्थाई गर्भगृह में विराजमान थे. मंत्रोच्चार और पूरे विधि विधान के साथ श्री बांके बिहारी के विग्रह को जिला कलेक्टर आलोक रंजन के हाथों मूल गर्भगृह में प्रतिष्ठित कराया गया.
प्राण प्रतिष्ठा से पहले सोमवार सुबह श्री बांके बिहारी की शहर में प्रभात फेरी निकाली गई. उसके बाद मंदिर परिसर में पांच विद्वान ब्राह्मणों ने मंत्रोच्चार के साथ यज्ञ किया. पूरे विधि विधान के साथ जिला कलेक्टर आलोक रंजन से श्री बांके बिहारी के विग्रह को नवनिर्मित मूल गर्भगृह में प्रतिष्ठित कराया गया. इस दौरान पूरा मंदिर परिसर मंत्रोच्चार और झालर घंटों की ध्वनियों से गुंजायमान हो गया.
ऐसा है बांके बिहारी का सिंहासन - आरएसआरडीसी के सहायक अभियंता अनिरुद्ध सिंह ने बताया कि मंदिर में 27.9 फीट लंबे और 12.9 फीट लंबे गर्भगृह का नवनिर्माण किया गया है. यह मूल गर्भगृह के स्थान पर ही तैयार किया गया है. इसमें 10×5 फीट का मकराना मार्बल से अत्यंत सुंदर सिंहासन का निर्माण कराया गया है. इसी सिंहासन पर बांके बिहारी विराजमान (Banke Bihari sat on the throne of Makrana marble) हुए हैं. सिंहासन के ऊपर मकराना पत्थर से ही निर्मित छतरी भी है.