भरतपुर.लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए महिला आरक्षण विधेयक भी पास हो गया है. महिला आरक्षण बिल संसद से पारित होने के बाद अब कानून का रूप ले चुका है. वहीं, जिले में बीते 66 साल के विधानसभा चुनावों की बात करें तो महिलाओं की भागीदारी न के बराबर रही है.
जिले में वर्ष 1952 से 2018 के दौरान विधानसभा चुनावों में कई बार महिला प्रत्याशी मैदान में उतरीं, लेकिन जीत नसीब नहीं हुई. 66 साल के दौरान कुल 40 महिला प्रत्याशी अलग-अलग विधानसभा चुनाव में मैदान में उतरीं लेकिन इनमें से सिर्फ 5 महिलाओं के सिर पर 12 बार जीत का सेहरा बंधा.
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महिलाओं की भागीदारी: भरतपुर में वर्ष 1952 से 1967 तक के विधानसभा चुनाव में एक भी महिला ने विधायक बनने के लिए चुनाव लड़ने की पहल नहीं की. 1972 में जिले की वैर विधानसभा सीट पर पहली महिला प्रत्याशी के रूप में ऊषा ने नामांकन दाखिल किया और उन्हें जीत मिली. इस तरह ऊषा जिले की पहली महिला विधायक बनीं. 1980 के चुनाव में वैर सीट से कांग्रेस की टिकट पर शांति पहाड़िया ने जीत का परचम फरहाया था. जिले की शहर विधानसभा सीट की बात करें तो यहां महिला प्रत्याशियों का ग्राफ सबसे कम रहा. इस सीट पर 66 साल में केवल तीन-चार महिलाओं ने चुनाव लड़ा लेकिन किसी को जीत नसीब नहीं हुई. कृष्णेंद्र कौर दीपा भरतपुर जिले में सबसे ज्यादा 4 बार विधायक का चुनाव जीतीं. पिछला चुनाव 2018 में कांग्रेस की जाहिदा खान ने कामां सीट पर कब्जा जमाया था.