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आधुनिकता के दौर में मिट्टी के बर्तनों की मांग घटी, कुम्हारों के सामने रोजी-रोटी का संकट

गर्मी आ गई है. ऐसे में बाजारों में मिट्टी के बर्तन और मटका बिक रहे हैं लेकिन फ्रीज के आ जाने से इन मिट्टी के बर्तनों की बिक्री ना के बराबर हो गई है. जिससे मिट्टी के बर्तन बनाने वालों के सामने आर्थिक संकट मंडरा रहा है.

भरतपुर न्यूज, Rajasthan News
डीग में मिट्टी के बर्तनों की मांग घटी

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Published : Apr 11, 2021, 1:31 PM IST

डीग (भरतपुर).आधुनिक मशीनीकरण के युग में शिक्षित युवाओं को तो बेरोजगार किया ही है. वहीं छोटे तबके के मजदूरों की रोजी-रोटी पड़ भी ग्रहण लगता नजर आ रहा है, जहां गर्मी के मौसम में लोग मिट्टी से निर्मित मटकों में भरे ठंडे पानी का लुफ्त लेते थे. वहीं अब बाजारों में रेफ्रिजरेटर आ जाने से कस्बे में मिट्टी के बने बर्तनों की बिक्री पर खासा असर पड़ा है.

मिट्टी के बर्तन बनाने वाले प्रजापत समाज के लोगों को अब चिंता सताने लगी है. वहीं डीग कस्बे में 60 से 70 प्रजापत परिवार इसी व्यवसाय में लगे हैं और इसके अलावा और कोई रोजी रोटी का स्रोत नहीं है. इसी तरह गत वर्ष कोरोना काल के समय बाहरी क्षेत्रों में आवागमन बंद होने से भी असर इन व्यवसायियों के धंधे पर पड़ा था. जबकि उपखंड क्षेत्र के अलावा मिट्टी के बर्तनों की मांग रहती है. वहीं इसी व्यवसाय में वर्षों से लगी प्रजापत समाज की एक वृद्ध महिला ने बताया कि पहले घरों में मिट्टी के बर्तनों की काफी मांग रहती थी और अच्छे भावों में मटके बिकते थे. वहीं अब बाजार में रेफ्रिजरेटर आने से मटकों की बिक्री में बहुत कमी आई है.

बिक्री ना होने से बर्तन स्टॉक में पड़ा

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महिला ने बताया कि अब दिनभर में मुश्किल से 2 या 4 मटके ही बिक पाते हैं. जिससे साग-सब्जी के लायक भी आमदनी नहीं हो पाती है. प्रजापत समाज के लोगों का कहना है कि पीढ़ियों से वे लोग मिट्टी के बर्तन बनाने का व्यवसाय करते आ रहे हैं लेकिन अब मशीनीकरण ने मजदूर वर्ग के हाथ काट दिए हैं. उनका कहना है कि जहां एक ओर रेफ्रिजरेटर, प्लास्टिक जैसी चीजों के वर्तमान में अधिक प्रचलन से मिट्टी से निर्मित बर्तनों की मांग दिनों दिन घट रही है. वहीं दूसरी ओर ये समाज धीरे-धीरे बेरोजगार हो रहे हैं और उनकी रोजी-रोटी के लाले भी पड़ रहे हैं .

मिट्टी के बर्तनों की बिक्री ना के बराबर

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