भरतपुर.जिले के रूपवास कस्बे की इंदिरा रसोई में बीते करीब तीन-चार दिन से एक दंपती अपनी तीन माह की बच्ची के साथ रह रहा है. उनके पास न घर है न रोजगार. तीन साल पहले मुस्कान और दीपक ने घर से भागकर शादी की इसलिए दोनों के परिजनों ने भी उन्हें अपनाने से इनकार कर दिया है. अब हालात ये हैं कि दंपती आर्थिक तंगी की वजह से इंदिरा रसोई में शरण लिए हुए है. निरीक्षण के दौरान जिला कलेक्टर ने बीमार पति का जयपुर इलाज कराने के निर्देश दिए हैं.
महिला मुस्कान ने बताया कि रूपवास क्षेत्र के मिलसमा गांव निवासी दीपक से प्रेम विवाह किया (Poor Couple took shelter in Indira Rasoi) था. शादी के समय मुस्कान नाबालिग थी. दीपक और मुस्कान के परिजन शादी से खुश नहीं थे. दोनों के परिवार ने उन्हें अपनाने से इनकार कर दिया. दीपक और मुस्कान लखनऊ चले गए. दीपक लखनऊ जाकर मार्बल घिसाई का काम करने लगा. इस दौरान दीपक की तबीयत बिगड़ने लगी तो दोनों दिल्ली चले गए.
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पहचान पत्र, परिजन के बिना नहीं किया भर्ती : दिल्ली में भी तबीयत खराब होने की वजह से दीपक काम नहीं कर पाया. दिल्ली के अस्पताल में उपचार कराना चाहा (Couple living in Indira Rasoi in Bharatpur) लेकिन पहचान पत्र, आधार कार्ड आदि की कमी की वजह से उपचार नहीं मिल पाया. बाद में भरतपुर आया लेकिन यहां भी उचित उपचार नहीं मिल सका. जयपुर भी इलाज के लिए गया लेकिन वहां भी साथ में कोई परिजन नहीं होने की वजह से भर्ती नहीं किया.
परेशान होकर दोनों धौलपुर आ गए. यहां दीपक का उपचार हुआ. इसी दौरान मुस्कान ने बेटी को जन्म दिया. इसके बाद मुस्कान अपने मायके गई, लेकिन परिजनों ने स्वीकार करने से मना कर दिया. अब आर्थिक तंगी की वजह से मुस्कान और दीपक अपनी तीन माह की बेटी के साथ रूपवास की इंदिरा रसोई में शरण लिए हुए हैं. शुक्रवार को जिला कलेक्टर आलोक रंजन रूपवास के निरीक्षण पर थे. इंदिरा रसोई में निरीक्षण के दौरान दंपती कलेक्टर से मिले. कलेक्टर ने एसडीएम को दीपक का चिरंजीवी कार्ड तैयार करवाकर जयपुर में उपचार कराने के निर्देश दिए हैं.